जानें रेड कार्पेट का इतिहास

Thursday, Nov 22, 2018 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्लीः रेड कार्पेट पर चलना शोहरत, खास कार्यक्रम, सम्मान आदि से जोड़ा जाता है लेकिन राजनीति में कभी-कभी आपके लिए दिक्कत का कारण भी बन सकता है, जैसा हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुआ। दरअसल अमृतसर में निरंकारी भवन पर हुए ग्रेनेड हमले के बाद घटनास्थल पर अमरेंद्र सिंह के लिए रेड कार्पेट बिछा गया गया था। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद इसे हटाया गया। 

 

रेड कार्पेट का खास मौकों पर बिछाया जाता है, लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर इस रेड कार्पेट की शुरुआत कब से हुई? वैसे तो इस शाही परंपरा की शुरुआत बाहर से हुई थी, लेकिन हैंडमेड कार्पेट बनाने में भारत सबसे ऊपर है। कहा जाता है कि भारत हैंडमेड कार्पेट बनाने में पहले स्थान पर है और उत्पादन का 70-80 फीसदी हिस्सा निर्यात कर दिया जाता है। भारत में यह आसानी से उपलब्ध हैं और कई समारोहों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

 

कहा जाता है कि यह आम जनता के लिए नहीं, बल्कि खास लोगों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। अगर इतिहास की बात करें तो इसका सबसे पुराना जिक्र एसकाइलस के यूनानी नाटक अगामेमनॉन में मिलता है। आधिकारिक तौर पर सबसे पहली बार रेड कार्पेट का इस्तेमाल साल 1821 में हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जेम्स मॉरोय के स्वागत में यह बिछाया गया था। उसके बाद साल 1902 में रेड कार्पेट का इस्तेमाल न्यूयॉर्क में न्यू एक्सप्रेस ट्रेन के यात्रियों के लिए किया था। उसके बाद 1920 के बाद से यह हॉलीवुड और फैशन इवेंट में आम हो गया।

 

भारत में कब आया रेड कार्पेट?

अगर भारत की बात करें तो ऐसा खास उल्लेख नहीं है कि भारत में पहली बार इसका कब इस्तेमाल किया गया हालांकि कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल साल 1911 में दिल्ली दरबार में हुआ था, जब तत्कालीन वॉयसरॉय लॉर्ड हार्डिंगे ने किंग जॉर्ज वी के लिए यह बिछवाया था।

यह दरबार लाल किले में लगा था और उस वक्त इसके लिए खास व्यवस्था की गई थी और लाल किले के अंदर जंगल को साफ करवाया गया था और किंग जॉर्ज वी के साथ क्वीन मैरी के लिए यह इस्तेमाल किया गया हालांकि अब कोई विदेशी महमान के लिए राष्ट्रपति भवन, लोकसभा और राज्यसभा में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
 

Sonia Goswami

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