Labour Day: मई का दिन कामगारों के लिए क्यों है खास, जानें इसका महत्व और मनाने का तरीका

Friday, May 01, 2020 - 01:08 PM (IST)

कहते है--- "अमीरी में अक्सर अमीर अपने सुकून को खोता है,
               मज़दूर खा के सूखी रोटी बड़े आराम से सोता है !!
                 मज़दूर दिवस की शुभकामनाएं!"


नई दिल्ली:  मई दिवस कई देशों में प्राचीन वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता है, इसे अंतरराष्ट्रीय कामगार दिवस या मज़दूर दिवस के नाम से भी जाना जाता है। मूल रूप से इस तारीख़ का चुनाव समाजवादी, मज़दूर और साम्यवादी संगठनों ने किया है जिसे अब पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन ज्‍यादातर कंपनियों में छुट्टी रहती है। दुनिया के कई देशों में इस दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है। 

इस मौके पर मजदूर संगठनों से जुड़े लोग रैली व सभाओं का आयोजन करते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज भी बुलंद करते हैं हालांकि लॉकडाउन के चलते इस बार इस तरह के आयोजन नहीं हो सकेंगे। 

क्यों है आज का दिन खास 
कहा जाता है कि आज के दिन यानि एक मई का दिन कामगारों के लिए खास दिन है क्योंकि इसी दिन उनको सबसे बड़ा अधिकार मिला। उनके लिए काम का घंटा तय हुआ। इससे पहले कामगारों का काफी शोषण होता था।  मजदूरों ने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर 1877 में आंदोलन शुरू किया, इस दौरान यह दुनिया के विभिन्न देशों में फैलने लगा। एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मज़दूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की। इसमें 11,000 फ़ैक्टरियों के कम से कम तीन लाख अस्सी हज़ार मज़दूर शामिल हुए और वहीं से एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हुई।

"किसी काम को करना बड़ी बात नहीं है, लेकिन जिस काम से हमें खुशी मिलती है वह चमत्कार से कम नहीं है"

मजदूर दिवस का इतिहास 
भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को हुई थी, उस समय इसको मद्रास दिवस के तौर पर प्रामाणित कर लिया गया था। इस की शुरुआत भारतीय मजदूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। 

कैसे मनाया जाता है मजदूर दिवस
मजदूर दिवस के दिन विभिन्न श्रम संगठन या ट्रेड यूनियनें अपने सदस्‍यों के साथ अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर जुलूस निकालते हैं और विरोध-प्रदर्शन करते हैं। अपने अधिकारों के प्रति आवाज उठाने के लिए इस दिन को मुफीद माना जाता है. इसके अलावा मजदूर दिवस के दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। बच्‍चों के लिए निबंध, वाद-विवाद और कला प्रतियोगिताओं का आयोजन कर उन्‍हें इस दिन के महत्‍व के बारे में समझाया जाता है। 

"कभी किसी को कुछ नहीं मिलता, जब तक कि वह उसकी कीमत के हिसाब से कठिन परिश्रम नहीं करता" - (बूकर टी वॉशिंगटन)

Riya bawa

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