IES की परीक्षा में शाही शहर की कुमुद जिंदल ने देश में 6वां स्थान हासिल कर रचा इतिहास

Tuesday, Nov 13, 2018 - 09:16 AM (IST)

पटियाला  (प्रतिभा): इंडियन इंजीनियरिंग सॢवसेज (आई.ई.एस.) की परीक्षा में जहां लड़कों का ज्यादा दबदबा रहता है, वहां शाही शहर की लड़की कुमुद जिंदल ने देश भर में 6वां स्थान हासिल कर इतिहास रच दिया है। लड़कियों के वर्ग में कुमुद देश भर में पहले स्थान पर रही है। इंजीनियरिंग खासकर इलैक्ट्रोनिक्स और टैलीकम्युनिकेशन में विशेष दिलचस्पी रखने वाली कुमुद तथा आर्मी के कर्नल राजेश जिंदल की बेटी ने न तो आर्मी में जाने की इच्छा दिखाई और न ही बी.टैक करके एक साधारण इंजीनियर बनने की सोची बल्कि देश की अहम सिविल सॢवसेज के तहत इंडियन इंजीनियरिंग सॢवसेज के लिए सोचा और इसे बेहद शानदार तरीके से पास भी किया। हालांकि पहली बार में प्रीलिम्स में कुमुद फेल हो गई थी। 

 

बी.टैक. के दौरान भी सब कुछ नहीं पढ़ा था

कुमुद ने बताया कि जब वह बी.टैक कर रही थी, तब भी उन्होंने इस एग्जाम और इंटरव्यू की तैयारी के लिए कुछ नहीं सोचा, बल्कि बी.टैक के बाद 10 महीने जॉॅब भी की, लेकिन 2017 में प्रीलिम्स की परीक्षा जरूर दी जोकि जॉब के चलते क्लीयर नहीं हुई। फिर जॉब छोड़ी और सैल्फ स्टडीज पर पूरा ध्यान दिया। इस दौरान पूरी मेहनत की और फिर उसके बाद दोबारा परीक्षा क्लीयर करके आगे बढ़ी।

 

इंजीनियरिंग सॢवसेज में ही जाना था बस
कुमुद ने बाया कि जब मेंस रिजल्ट आए तब वह पूरी तरह से ब्लैंक थी कि क्या करे या क्या नहीं। उस वक्त जनरल अवेयरनैस और कॉमन सैंस होना बहुत जरूरी है। इसी का फायदा इंटरव्यू के दौरान भी मिला। हालांकि बी.टैक करने के दौरान कुछ खास योजनाएं तो नहीं थीं, पर इरादा सिर्फ एक ही था कि इंजीनियरिंग सॢवसेज में ही जाना है, इसलिए जो सोचा, उसे पूरा करने के लिए पूरी मेहनत भी की और सफल हुई। 

 

इंटरव्यू के दौरान बोर्ड में बैठे अधिकारियों ने काफी उलझाया
परीक्षा पास करने के बाद जब इंटरव्यू का दौर आया तब मुश्किल काफी हुई। पहला इंटरव्यू ठीक नहीं हुआ था क्योंकि पहले कभी भी इंटरव्यू नहीं दिया था। काफी नर्वसनैस भी थी और इंटरव्यू बोर्ड में बैठे अधिकारियों ने अपने सवालों से उलझाने की कोशिश भी की। खासकर उस पैनल में एक साइकोलॉजिस्ट बैठे थे, वह इस तरह के सवाल पूछ रहे थे कि जवाब देना भी मुश्किल हो जाता लेकिन मैंने हार नहीं मानी और पूरे आत्मविश्वास से जवाब दिए। 

 

पेरैंट्स से मिला इमोशनल सपोर्ट
कुमुद ने कहा कि पिता आर्मी में अधिकारी हैं और मम्मी सुशांता जिंदल दोनों से ही और दोस्तों से इमोशनल सपोर्ट हमेशा से ही मिलती रही है। जब कभी भी खुद को कमजोर महसूस किया और कभी तकलीफ हुई तो उनसे हमेशा ही सहयोग मिला क्योंकि आर्मी में पापा कर्नल हैं तो देश भर में घूमते रहे हैं और आजकल वह जम्मू में पोसिं्टग पर हैं तो इससे भी अलग-अलग जगह देखने और समझने का मौका मिला।

 

कभी भी हिम्मत न हारो

कुमुद ने सभी युवाओं को यह मैसेज दिया है कि कभी भी हिम्मत न हारो, मेहनत करो और सफल जरूर होगे। मैं भी आप में से ही एक हूं और बी.टैक करते हुए जॉब भी की और उसके बाद तैयारी के लिए जॉब छोड़ी व अपनी कमियों पर सबसे पहले ध्यान दिया। घंटों सैल्फ स्टडी की। इसी तरह से सफल हुई हंू।  रिश्तेदारों ने दी शुभकामनाएं वहीं कुमुद के मामा सृजन बांसल और मामी मीनाक्षी बांसल जोकि स्थानीय निवासी हैं, ने कुमुद की सफलता पर उसे शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने बताया कि कुमुद शुरु से ही बहुत मेहनती लड़की है। वहीं कुमुद के ताया हेमराज जिंदल पी.आर.टी.सी. के जनरल मैनेजर रह चुके हैं, जिन्हें आतंकवादियों ने शहीद कर दिया था।

Sonia Goswami

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