‘शिक्षा और स्वास्थ्य पर सस्ती लोकप्रियता नहीं बटोरें केजरीवाल’

Friday, Nov 30, 2018 - 01:25 PM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के मध्यावधि परीक्षा में कई विद्यालयों के परीक्षा परिणाम बेहद खराब होने पर  स्कूल और अस्पताल की राजनीति करने वाली आम आदमी पार्टी का असली चेहरा जनता के सामने आ चुका है। 

झूठ और भ्रम की राजनीति करने वाले केजरीवाल जनता से किए अपने चुनावी वायदों को पूरा करने में पूरी तरह से विफल हुए हैं। मनीष सिसौदिया का दावा है कि दिल्ली का मॉडल गुजरात मॉडल से कहीं अच्छा है, ऐसे झूठ की पोल दिल्ली के 27 सरकारी स्कूलों ने खोल दी है।

प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा है कि दिल्ली शिक्षा निदेशालय की इंस्पेक्शन ब्रांच ने मध्यावधि परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने की वजह जानने के लिए परीक्षा परिणाम की जांच कराने का निर्णय लिया। जिसमें  27 स्कूलों को चयनित किया। उन स्कूलों का परीक्षा परिणाम जीरो से पांच फीसदी के बीच रहा जो कि आम आदमी पार्टी के शिक्षा को लेकर अपनी पीठ थपथपाने के तमाम दावों की पोल खोल रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ोसी राज्यों को चुनौती देने वाले केजरीवाल अफवाह फैलाने और मीडिया में सस्ती लोकप्रियता बटोरने में जुटे हैं। 
  
उन्होंने कहा है कि दिल्ली सरकार के तीन साल के शासन में शिक्षा के नाम पर बेमिसाल प्रचार हुआ परंतु धरातल पर शिक्षा में कोई बदलाव नहीं किया गया। शिक्षा के दो साल के बजट में से 1982 करोड़ बिना खर्च किए चला गया जो कि दिल्ली के इतिहास में शिक्षा के क्षेत्र में बिना खर्च की गई यह सबसे ज्यादा राशि रही है। इतना ही नहीं बल्कि सरकारी आंकड़ों से यह पता चलता है कि जहां 2013-14 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 17.75 लाख विद्यार्थी थे वे दिल्ली सरकार के समय 2015-16 में कम होकर 16.77 लाख रह गए जबकि प्राइवेट स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या पिछले दो वर्षों में 1.42 लाख बढ़ी है। 

तिवारी ने कहा है कि इसी प्रकार 10वीं के बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम भी 98.40 प्रतिशत से कम होकर 91 प्रतिशत रह गया है। आम आदमी पार्टी ने यह वायदा किया था कि सत्ता में आने के बाद 500 नए स्कूल बनाएगी लेकिन दूसरी तरफ  दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों के क्लास रूम में दो सेक्शन के विद्यार्थी एक साथ बैठने को मजबूर है।

pooja

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