कैसे सपनों को लगते हैं पंख, आरती कानूनगो से सीखें

Thursday, Dec 27, 2018 - 03:04 PM (IST)

नई दिल्लीः बेहतर शिक्षा देने के साथ मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और हैप्पी नेस क्लास के जरिए छात्राओं में उमंग भरने के प्रयासों ने आरती कानूनगो को दुनिया के टॉप-50 शिक्षकों में पहुंचा दिया है। इन सबके लिए आरती सिर्फ बच्चों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने अपने अभियान में अभिभावकों और समाज को भी जोड़ा। शिक्षा के महत्व के साथ-साथ बच्चियों को उनकी खुशी और स्वच्छता के लिए जागरूक किया।

 

दिल्ली सरकार की ओर से शुरू किए गए हैप्पीनेस पाठ्यक्रम ने उनकी सोच को पंख दिए, जिसका सीधा फायदा बच्चों को मिला। शिक्षा देने की इस तकनीक की बदौलत वह दुनिया के चुनिंदा शिक्षकों में शामिल हो गई हैं। अब वह टॉप-10 शिक्षकों में आने के लिए प्रयासरत हैं, जहां उनका मुकाबला दुनिया के बेहतरीन शिक्षकों से है।

 

आरती कानूनगो पूर्वी दिल्ली के शकरपुर स्कूल ब्लॉक स्थित बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी की शिक्षिका हैं। वह ग्लोबल टीचर प्राइज के टॉप-50 फाइनलिस्ट में शामिल हुई हैं। इस प्रतियोगिता में 179 देशों के 10 हजार शिक्षक हिस्सा ले रहे हैं।

 

वह 18 वर्षों से शिक्षण कार्य से जुड़ी हैं। पहले निगम स्कूल और अब आठ वर्षों से दिल्ली सरकार के स्कूल में कार्यरत हैं। उन्होंने शुरू से ही बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग तकनीक अपनाई। वह बच्चों पर बिना दबाव डाले खुशी के माहौल में पढ़ाती थीं, जिससे बच्चे जल्दी सीख जाते हैं। इसी बीच उन्होंने बच्चियों व उनके परिवार के सदस्यों में मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता को लेकर काफी अज्ञानता देखी, जिसकी वजह से बच्चियां स्कूल नहीं आती थीं और पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाती थीं।


 
उन्होंने सच्ची सहेली संस्था का साथ लिया और बच्चियों के साथ-साथ उनके अभिभावकों के बीच जाकर उन्हें जागरूक करना शुरू किया। पढ़ाई के लिए भी घर में माहौल बेहतर बनाने के प्रयास में जुट गई। उन्होंने समाज को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटकों का भी सहारा लिया, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। इसी बीच जब दिल्ली सरकार ने जब हैप्पीनेस क्लास शुरू की तो उनके प्रयासों को पंख लग गए। उन्हें पिछले साल सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का अवार्ड भी मिला।

 

आरती के समर्पण को देख उनके पति व नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी अनन्या ने ग्लोबल टीचर प्राइज के बारे में बताया। बेटी के आत्मविश्वास को देख उन्होंने आवेदन कर दिया, जिसका परिणाम उन्हें यहां तक पहुंचा दिया।


 

Sonia Goswami

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