IAS Success Story: अनाथालय में पलने वाला ये शख़्स मेहनत से बना IAS अधिकारी

punjabkesari.in Sunday, Feb 16, 2020 - 11:15 AM (IST)

नई दिल्ली: अमीरी गरीबी नहीं बल्कि आपका जज्बा तय करता है आपकी सफलता का पैमाना। हर दिन आप सब लोग एक ऐसी हस्ती की कामयाबी की दास्तां से रूबरू होते हैं, जिसने विषम परिस्थितियों से लड़कर कामयाबी हासिल की लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो पहले ही प्रयास में और बेहद कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर लेते हैं। इन्हीं होनहारों में से एक हैं मोहम्मद अली शिहाब। इन्होंने 2011 के यूपीएससी एग्ज़ाम में 226वीं रैंक हासिल की। 

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शिहाब की बात करें तो वह लड़का बचपन में अनाथालय में पला बढ़ा था। अनाथालय में पले बढ़े इस लड़के ने कड़ी मेहनत कर आईएअस अधिकारी बनकर युवा पीढ़ी के लिए मिसाल कायम की। पहली बार जब परीक्षा की तैयारी की तो शिहाब की अंग्रेजी पर पकड़ अच्छी नहीं थी। इसके चलते उन्हें इंटरव्यू के दौरान ट्रांसलेटर की ज़रूरत पड़ी, ऐसे में उन्होंने 300 में से 201अंक हासिल किए। 

बचपन में पिता का साथ छूटा 
-मोहम्मद अली शिहाब का जन्म केरल के मलप्पुरम जिले के एक गांव, एडवन्नाप्परा में हुआ था। बचपन में शिहाब अपने पिता के साथ पान और बांस की टोकरियों की दुकान में काम किया करते थे। 

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-1991 में लंबी बिमारी के चलते शिहाब के पिता का देहांत हो गया, उस वक्त शिहाब की उम्र बहुत कम थी। शिहाब की मां इतनी गरीब थीं कि पिता के गुजर जाने के बाद वो अपने पांच बच्चों का खर्च नहीं उठा सकती थीं, जिसके चलते उन्हें दिल पर पत्थर रखकर शिहाब सहित अपने सभी बच्चों को अनाथालय में डालना पड़ा। 
-कोई भी मां नहीं चाहती कि उसे अपने बच्चों से दूर होना पड़े, लेकिन गरीबी वो अभिशाप है जो कुछ भी करने को मजबूर कर देती है और यही वजह है कि शिहाब और उनके भाई बहनों को अपना बचपन एक मुस्लिम अनाथालय में गुज़ारना पड़ा। 

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दस साल अनाथालय में रहे शिहाब
शिहाब ने अपनी ज़िंदगी के दस साल अनाथालय में गुज़ारे, वहां भी वो एक बुद्धिमान स्टूडेंट के तौर पर जाने जाते थे। वहां उन्हें जो पढ़ाया जाता उसे वो तुरंत समझ जाते। पिता के गुज़र जाने के बाद उनका परिवार मजदूरी करके पेट पालने को मजबूर था। शिहाब का कहना है कि उन्होंने अब तक विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा आयोजित 21 परीक्षाओं को पास किया है। 

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25 साल की उम्र में देखा सपना 
शिहाब ने 25 साल की उम्र से ही सिविल सेवा की परीक्षा देने का सपना देखना शुरू कर दिया था। शुरुआती दिनों से लेकर आईएएस अधिकारी बनने तक शिहाब के लिए जीवन आसान नहीं था। सिविल सर्विस की पहली दो परिक्षाओं में शिहाब असफल रहे, लेकिन उन्होंने धैर्य बनाये रखा और थर्ड अटैंप्ट दिया, जिसमें उन्हें सफलता मिली। 


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Author

Riya bawa

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