‘‘कृत्रिम मेधा के दौर में रोजगार के लिए अहम होगी मानवता’’

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 03:57 PM (IST)

नई दिल्ली: उद्योगों में बढ़ते स्वचालन और विभिन्न क्षेत्रों में कृत्रिम मेधा के उपयोग से रोजगार खत्म करने का डर पैदा हो रहा है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि रोजगार क्षेत्र का भविष्य व्यापक स्तर पर कर्मचारियों के बीच सामाजिक मेल-जोल, विश्वास एवं सहानुभूति विकसित करने पर ही निर्भर है। ऑस्ट्रेलिया के ‘मैक्वेरी विश्वविद्यालय’ द्वारा आयोजित एक परिचर्चा में उद्योग विशेषज्ञों ने काम की प्रकृति को बदलने वाली तकनीकी बाधाओं के साथ वैश्विक श्रमिकों के लिए प्रभाव पर चर्चा की।

     

‘डेलोइट ऑस्ट्रेलिया’ की जूलियट बोर्क ने इस बात को रेखांकित किया कि समय के साथ रोजगार खेतों से कारखानों में पहुंचा और फिर कार्यालयों में। स्मार्ट टेक्नोलॉजी और कंप्यूटिंग सिस्टम जैसे कृत्रिम मेधा आदि के आगमन के जरिए अब यह डिजिटल ‘क्लाउड’ की ओर जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वभाविक तौर पर, तकनीक के बढ़ते उपयोग के कारण, बदलते काम के माहौल में तकनीकी कौशल सीखने की काफी चर्चा है। बहरहाल, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक मेल-जोल बढ़ाना समय की मांग है क्योंकि तकनीक ‘‘मानवता’’ की जगह नहीं ले सकती।  

     

बोर्क ने कहा, ‘‘हम स्कूल या कार्यस्थल पर अपनी सामाजिक विशेषताओं को विकसित करने में अधिक समय नहीं देते। कई अध्ययनों में पाया गया है कि सामाजिक विशेषताओं के प्रशिक्षण से उत्पादकता बढ़ सकती है।’’  सहानुभूति, रचनात्मकता, टीम वर्क, बातचीत और संचार जैसी विशेषताओं की महत्ता भविष्य में और बढ़ जाएगी, जब मशीनें वे काम करने में सक्षम होंगी जिन्हें करने में हम अभी घंटों लगा देते हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

pooja

Recommended News

Related News