पिता के पास नहीं थे रोटी के पैसे, चटाई पर बैठकर पढ़ने वाला बेटा बना कलेक्टर

punjabkesari.in Wednesday, Mar 27, 2019 - 01:23 PM (IST)

एजुकेशन डेस्क: सुरेंद्र सिंह मथुरा जिले के  सैदपुर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता खेती करते थे। बचपन से सुरेंद्र ने जीवन में कई मुश्किलों का सामना किया है। सुरेंद्र के एक बड़े भाई है। उनके पिता का एक कच्चा मकान था और चार लोगों के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी उनके पिता के लिए कठिन था। उनके पिता जैसे तैसे जिंदगी की गाड़ी को धकेल रहे थे। लेकिन बचपन से ही सुरेंद्र को अंदर से बड़ा बनने की चाह थी और उनके इस सपने को साकार करने के लिए उनके माता-पिता भी जीतोड़ मेहनत कर बच्चों की फीस का इंतजाम करते थे। 

सुरेंद्र के माता-पिता अनपढ़ थे इसलिए पढ़ाई की कीमत का महत्तव समझते थे। उनके मां-बाप ने अपनी क्षमता से ज्यादा दोनो बेटो को पढ़ाने की हमेशा कोशिश की। अक्सर स्कूल से आने के बाद सुरेंद्र खेतों में
पिता जी का काम में हाथ बंटाने पहुंच जाते थे बंटाता लेकिन वो मुझे काम करने से मना कर देते थे क्योंकि वो चाहते थे कि सुरेंद्र का ध्यान कभी पढ़ाई से न भटके।  


फटे बस्ते को लेकर दोनो भाई स्कूल जाया करते थे और चटाई पर बैठकर पाठ याद करते थे। आठवीं कक्षा तक यही सिलसिला रहा, जिसके बाद उनके बड़े भाई जितेंद्र दिल्ली चले गए और मास्टर बन गए। आठवीं के बाद सुरेंद्र को आगे का रास्ता नजर नहीं आ रहा था, वे बड़े भाई के पीछे चले गए जहां उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की।  पढ़ाई में होशियार होने के कारण जैसे जैसे आगे बड़े कामयाबी मिलती चली गई। दिल्ली से इंटर करने के
बाद सुरेंद्र बीएससी और एमएससी करने राजस्थान चले गए।

 

वहां सुरेंद्र ने Msc में टॉप किया और गोल्ड मेडल हासिल किया। पढ़ाई के दौरान सुरेंद्र कई गवर्मेंट जॉब के लिए एग्जाम देते रहे और इस बीच उनका एयरफोर्स में सिलेक्शन हो गया। लेकिन वहां ज्वाइन करने से पूर्व
उनका सिलेक्शन ONGC में जियोलॉजिस्ट के पद पर हो गया। सुरेंद्र ने ONGC ज्वाइन तो कर लिया लेकिन मन में खटकता रहा कि शायद अभी पिता जी का सपना पूरा नहीं हुआ है। इसके बाद सुरेंद्र ने 3 बार पीसीएस का एग्जाम क्वालीफाई किया लेकिन ज्वाइन नहीं किया क्योंकि उनके दिल में आईएएस बनने का ख्वाब था। इसके बाद सुरेंद्र ने 2005 में IAS क्वालीफाई किया और ऑल इंडिया 21वीं रैंक हासिल की।

 

आज से करीब 10 साल पहले सुरेन्द्र सिंह की शादी हुई। सुरेन्द्र कहते हैं डीएम के पद पर काफी सारी जिम्मेदारियां होती हैं, जिससे कभी-कभी फैमिली और बच्चों के लिए भी टाइम निकालना मुश्किल हो जाता
है। लेकिन उनकी पत्नी का पूरा सहयोग रहता है। आईएएस ऑफिसर सुरेंद्र को 2012 के विधानसभा चुनाव में फिरोजाबाद में तैनाती के दौरान निर्वाचन आयोग द्वारा बेस्ट इलेक्शन प्रैक्टिस का अवार्ड मिला और यही नहीं उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।


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Sonia Goswami

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