Success Story: जॉब के साथ पास किया UPSC टेस्ट, चार बार कोशिश के बाद बने IAS

punjabkesari.in Tuesday, Jul 07, 2020 - 12:11 PM (IST)

नई दिल्ली: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए विद्यार्थी सालोसाल कड़ी मेहनत करते हैं। कठिन परिश्रम के बावजूद भी कइयों को मायूसी हाथ लगती है। लेकिन कई ऐसे उम्मीदवार होते हैं जो पहले ही प्रयास में अच्छी रैंक हासिल कर अपनी प्रतिभा से चौंका देते हैं।एक ऐसी ही कहानी की बात करने जा रहे है जिसने कड़ी मेहनत के दम पर यूपीएससी परीक्षा पास कर ली है। बात कर रहे है छत्तीसगढ़ के अति पिछड़े ट्राइबल गांव के रहने वाले सुरेश जगत ने यूपीएससी की परीक्षा पास कर अपना IAS बनने का सपना साकार किया है। 

जानें कैसे पास की परीक्षा 

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पारिवारिक जीवन और पढ़ाई 
सुरेश का जन्म कोरबा जिले के परसदा गांव में हुआ। यह एक अति पिछड़ा ट्राइबल गांव है, शुरू से ही मेरी रुचि पढ़ने-लिखने की रही है। इसी कारण मैं अपने जिले से बाहर निकल कर आया और यूपीएससी जैसी परीक्षा की तैयारी की। सुरेश बताते हैं कि हाई स्कूल तक की मेरी पढ़ाई काफी मुश्किलों भरी रही। कुछ कक्षाओं में एक भी शिक्षक नहीं थे। मेरी पढ़ाई गांव के जनभागीदारी स्कूल से हुई। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह स्कूल गांव की जनता के सहयोग से चलाया जाता था, जिसमें शिक्षकों की भारी कमी थी। 

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सुरेश के दसवीं में 90 फीसदी अंक आए, अब उनके सामने अगली चुनौती थी कि आगे की पढ़ाई कहां से और कैसे की जाए। हालांकि इसमें मेरे भाइयों ने काफी मदद की और बिलासपुर के भारत माता हिंदी माध्यम स्कूल में मेरा दाखिला कराया, वहां भी मुझे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 

12वीं में राज्य में 5वें स्थान किया हासिल 
सुरेश ने बताया कि 12वीं में राज्य में 5वां स्थान मिला था। यही वो क्षण था, जब मुझे आगे कुछ कर गुजरने का आत्मविश्वास मिला। उनका मानना है कि ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों में विश्वास की कमी का सबसे बड़ा कारण होता है। सुरेश ने अंग्रेजी और गणित के विषय पर ज्यादा ध्यान दिया। इसके बाद उनके मन में IAS अधिकारी बनने का विचार आया। 

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NIT रायपुर में मिला दाखिला
सुरेश ने बताया कि AIEEE पास करके मुझे NIT रायपुर में दाखिला मिला और वहां भी अपनी मेहनत से 81% के साथ मैकेनिकल की डिग्री हासिल की।  उनके सामने सबसे बड़ा चैलेंज अंग्रेजी का था। वह किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले है तो स्वाभाविक सी बात थी कि उनका पहला लक्ष्य किसी नौकरी को पाकर आर्थिक रूप से सक्षम होना था। ONGC कैंपस में सेलेक्शन हुआ और GATE एग्जाम से NTPC में हुआ और NTPC जॉइन कर लिया। 

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नौकरी  के साथ की तैयारी 
NTPC में 3 साल काम करके निर्णय लिया कि अब सिविल सेवा की परीक्षा देनी चाहिए। नौकरी करते-करते दो प्रयास हिंदी माध्यम से देने के बाद मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे अंग्रेज़ी माध्यम से परीक्षा देनी चाहिए और इसके 2 कारण थे, पहला कि मुझे दिल्ली से दूर रहने की वजह से इंटरनेट का सहारा लेना था और दूसरा अंग्रेजी से पढ़ाई को मैं एक चुनौती की तरह लेता था और जब तक चैलेंज नहीं रहेगा, तब तक रास्ते का मजा नहीं है।  

इन टिप्स को अपनाकर की परीक्षा की तैयारी 

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1. भूगोल विषय से हिंदी में तैयारी शुरू की थी और अंग्रेजी में भी भूगोल विषय जारी रखा। 2016 की परीक्षा में मुझे सफलता मिली और मुझे IRTS मिला, लेकिन IAS की चाह में चौथे प्रयास में मुझे आईएएस मिला। 

2. उन्होंने ये सब प्रयास फ़ुलटाइम नौकरी करते हुए दिए और किसी भी चरण में कोचिंग का सहारा नहीं लिया।  शुरू से ही गांव में रहने के कारण गांव की समस्याओं से अवगत था

3. IAS अफसर जो हमारे गांव में आते थे, उन्हें देखकर मन में कुछ हलचल सी उठती थी। घर की आर्थिक और सामाजिक स्थिति ठीक नहीं होना भी एक कारण था। IAS अफसर की तैयारी के दौरान दादाजी प्रेरणा स्रोत रहे हैं, उनकी मेहनत और कोर्ट-कचहरी के चक्कर ने मुझे इस दिशा में प्रयास करने के लिए विवश कर दिया। 

4. सुरेश ने बताया कि पहली गलती मेरी ये रही कि मैंने हिंदी माध्यम से तैयारी की पूरी कोशिश नहीं की। अगर हिंदी साहित्य विषय से परीक्षा देता तो सफलता पहले ही मिल गई होती। नोट्स नहीं बनाना दूसरी गलती थी, जिसके परिणाम स्वरूप रिवीजन में दिक्कत आई। शुरू के प्रयास अति आत्मविश्वास से दिया, जिससे असफलता मिली।  


 


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Author

Riya bawa

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