नेत्रहीन होने पर भी पहली बार में पास किया IAS एग्जाम, जानें सफलता का राज

Thursday, Jul 04, 2019 - 03:09 PM (IST)

नई दिल्ली: हर कोई चाहता है कि एग्‍जाम में सफलता मिले, लेकिन कामयाबी तो उसी को मिलती है जो इस राह में आने वाली चुनौतियों से हार नहीं मानता बल्‍कि इनसे लड़कर अपना रास्‍ता बना लेता है। ऐसा ही कर दिखाया है महाराष्ट्र के उल्हासनगर की प्रांजल पाटिल ने। बता दें कि प्रांजल देख नहीं सकती हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया जिसका सपना आंखों से सक्षम लोग भी देखते हैं। 

क्लियर किया UPSC का एग्जाम 
प्रांजल ने पहले ही अटेंप्ट में साल 2016 में सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर किया। उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 773 हासिल की थी। प्रांजल ने इंडियन रेलवे अकाउंट्स सर्विस एग्जाम भी पास किया, इस एग्जाम में उन्होंने 773वीं रैंक हासिल की, लेकिन रेलवे सर्विस डिपार्टमेंट ने उन्हें न देख पाने की वजह से जॉब ऑफर नहीं की। दरअसल रेलवे के नियमों के मुताबिक, नेत्रहीन उनके यहां नौकरी के लिए अयोग्य है। 

कैसे गई आंखों की रोशनी 
प्रांजल ने एक आंख की रोशनी छठी क्लास में खो दी थी। एक स्टूडेंट से उनकी आंख मे पेंसिल लग गई थी, लेकिन उसके अगले ही साल उन्होंने अपनी दूसरी आंख की रौशनी भी खो दी। दोनों आंखों की रोशनी चले जाने के बाद भी प्रांजल ने हार नहीं मानीं, उन्होंने ब्रेल लिपि के जरिए पढ़ाई जारी रखी। 

जानें सफलता का राज
प्रांजल को पढ़ने का बहुत ज्यादा शौंक था और उन्हें नई-नई चीज़ों के बारे में पढ़ना भी उतना ही अच्छा लगता था। प्रांजल ने IAS की तैयारी के लिए पढ़ाई शुरू की। अपनी रीडिंग हेबिट को पहले की तुलना में और ज्यादा डेवलेप किया। प्रांजल ने बिना हार माने एग्जाम के सिलेबस का पूरा अध्यन किया। उन्होंने दिल्ली की ALS अकादमी से टेस्ट सीरीज दिए। साथ ही उन्होंने एक ऐसे सॉफ्टवेयर की भी मदद ली, जिससे वे शब्द दर शब्द सुन पाती थीं, वे बचपन से ही करियर चुनने को लेकर बेहद गंभीर थीं।

प्रांजल JNU से PhD कर रही हैं। प्रांजल मानती हैं, सफलता प्रेरणा नहीं देती, सफलता के पीछे का संघर्ष प्रेरणा देता है,लेकिन सफलता महत्वपूर्ण है क्योंकि तभी लोग आपके संघर्ष को जानने के इच्छुक होंगे। 
 

Riya bawa

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