ऐतिहासिक तारीख है 6 अगस्त

punjabkesari.in Monday, Aug 06, 2018 - 04:36 PM (IST)

6 अगस्त, एक ऐसा दिन जिसे दुनिया का इतिहास दो कारणों से याद करता है, पहला ये कि इस दिन साल 1881 में महान वैज्ञानिक और पेनिसिलिन के जनक अलेक्सेंडर फ्लेमिंग का जन्म हुआ था और दूसरा ये कि फ्लेमिंग के जन्म के 64 साल बाद यानी कि आज ही के दिन साल 1945 में जापान के एक शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु हमला हुआ था।

पहलाकारण; अलेक्सेंडर फ्लेमिंग, एक महान वैज्ञानिक और अविष्कारक जिनकी वजह से आज हम बेहतरीन और सुरक्षित जिंदगी जी रहेहै।जी हाँ पेनिसिलिन की खोज करने वाले सर अलेक्सेंडर फ्लेमिंग आज ही के दिन वर्ष 1881 में डारवेल (आयरशायर), स्कॉटलैंड में पैदा हुए थे।
 
इन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जख्म सड़ने की वजह से कई सैनिकों की मौत देखी। इसका उनके दिलो-दिमाग पर खासा असररहा।पेनिसिलिन को सदी की सबसे बड़ी खोज के तौर पर जाना गया।

फ्लेमिंग ने अचानक पेनिसिलिन की खोज कीथी।जिसने आधुनिक एंटीबायोटिक को बदल कर रख दिया। अलेक्जेंडर फ्लेमिंग  एक दिन पेट्रीडिश पर कार्य कर रहे थे। प्रयोग के दौरान देखा कि पेट्री डिश पर फफूंद आ गयी और इससे पेट्रीडिश के बैक्टीरिया मर गए। यह फफूंद पेनिसिलियम नोटाडम थी। इस प्रयोग को फ्लेमिंग ने बार बार दोहराया। इससे यह साबित हुआ कि इस फफूंद से जीवाणु खत्म हो रहे थे।

इस दवा का नाम पेनिसिलिन रखा गया क्योंकि यह दवा पेनिसिलिन नोटाडम से प्राप्त की गई थी। फ्लेमिंग ने फफूंद से रस निकालकर उसका दवा के रूप में इस्तेमाल शुरू किया। अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने रस से एंटीबायोटिक को अलग किया और दवा का प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के घायल सैनिको पर किया। पेनिसिलिन घायल सैनिको के उपचार में रामबाण साबित हुई। 1970 तक इस दवा का भरपूर उपयोग किया गया। इसके बाद इसका उपयोग बन्द हो गया। एंटीबायोटिक दवाई का उपयोग घाव को ठीक करने, इंफेक्शन, दर्द निवारक में किया जाता रहा है।

पेनिसिलिन की खोज के अलावा उन्होने जीवाणु विज्ञान, रोग-प्रतिरक्षा-विज्ञान एवं रसचिकित्सा आदि विषयों के उपर अनेक शोधपत्र प्रकाशित किये। उन्होने सन् 1923 में लिसोजाइम नामक एंजाइम की खोज भी की।

साल 1945 में फ्लेमिंग होवार्ड फ्लोरे और अन्सर्ट बोरिस चेन को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार दिया गया I यह खोज उन्होंने लंदन के सेंट मैरी अस्पताल में कीI
उन्होंने नोबेल प्राइज मिलने पर कहा था "जब मैं सो कर उठा तो सोचा भी नहीं था कि दुनिया का पहला एंटीबायोटिक  बनाकर दवाओं की दुनिया में क्रांति ला दूंगा.” दूसरा कारण, इंसानी इतिहास में इससे बड़ी तबाही शायद पहले कभी नहीं हुई होगी। इंसानियत खत्म हो चुकी थी और उस पर कभी न मिटने वाला कलंक लग चुका था।  परमाणु बम बनाने वाले वैज्ञानिक रोबर्ट ओपेंहिपर ने भी शायद इसकी कल्पना नहीं की होगी  औरअगले ही दिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

 इन दोनों घटनाओं में दो वैज्ञानिकों का रोल रहा है, एक जिसने संजीवनी बूटी के समान जिंदगी देने वाली पेनिसिलिन दी और दूसरा जिसने ब्रह्मशास्त्र के समान जिंदगी छीने वाला हथियार दिया। 

मगर रोबर्ट ओपेंहिपर से ज्यादा अहम् वो लोग है जो इस युद्ध के लिए जिम्मेदार थे। ये इंसान की और ज्यादा विस्तार करने की सोच ही थी जिसने ये सब करवाया। आने वाली पीढी शायद इस बात को समझ जाये कि आज के समय में हमें परमाणु बम से ज्यादा पेनिसिलिन बनाने वालों की जरुरत है।

प्रदीप कुमार (7988861409)                                                                                                                

 209, मेलाग्राउंडएरियाहिसार - 125001                                                                                                                          

हरियाणा


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pooja

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