Delhi Government Schools Report: 9वीं के 40 फीसद छात्र 10 वीं में नहीं पहुंचे

Thursday, Dec 05, 2019 - 11:16 AM (IST)

नई दिल्ली: दिल्ली में सार्वजनिक (विद्यालय) शिक्षा की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि सरकारी स्कूलों में सीखने के परिणामों में सुधार के लिए विभिन्न योजनाओं, बुनियादी ढांचे में सुधार और भारी बजटीय आवंटन के बावजूद, छात्रों को स्कूलों में बनाए रखना, एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। सरकारी स्कूलों में 1,16,149 छात्र कक्षा 9वीं (शैक्षणिक वर्ष 2017-18) से 10वीं (शैक्षणिक वर्ष 2018-19) में नहीं गए और इसका सीधा मतलब है कि 9वीं कक्षा के 40 प्रतिशत छात्र परीक्षा में असफल रहे। मार्च 2019 में कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान, राज्य के सरकारी स्कूलों ने 94.24 प्रतिशत पास हुए लेकिन सरकारी स्कूलों में 12वीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले कुल छात्रों की संख्या, आधे से भी कम थी, यानी 9वीं कक्षा की तुलना में केवल 45 प्रतिशत यह संख्या कम रही। 

यह जानकारी प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने देते हुए कहा कि सीबीएसई की 10वीं बोर्ड परीक्षा दोबारा शुरू होने के बाद, मार्च 2017 में उत्तीर्ण प्रतिशत 92.44 से घटकर मार्च 2018 में 68.90 प्र. हो गया। मार्च 2019 में 71.58 के साथ थोड़ा सुधरा लेकिन दो साल पहले की तुलना में यह कम था। राज्य सरकार के पास-आउट भी केंद्रीय विद्यालय की तुलना में लगातार कम रहा है, केवी स्कूलों का पासआउट 2017 में 99.83 प्र., 2018 में 97.03 और 2019 में 99.79 प्रतिशत रहा। 
   
प्रजा फाउंडेशन की संस्थापक और प्रबंध न्यासी, निताई मेहता ने पूछते हुए कहा कि छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार लाने के लिए लागू चुनौती जैसी योजनाओं के बावजूद छात्र परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। यह राज्य के सरकारी स्कूलों में सतत और व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) परिणामों में भी स्पष्ट है, जहां 2018-19 में,छठी कक्षा में 75, 7वीं कक्षा में 67 और 8वीं कक्षा में 70 प्रतिशत छात्रों को ग्रेड -सी (60 प्र. और उससे नीचे) मिला। 

पत्राचार’ शिक्षा योजना में केवल 4,037 छात्रों ने (2018-19 में) 10वीं में दाखिला लिया 2017 में 9वीं कक्षा में  फेल हुए 1,16,149 छात्रों में से केवल 3.5 प्र. है। इसके अलावा 2017-18 में सरकारी स्कूलों के 11वीं कक्षा में फेल हुए छात्रों में से केवल 17 प्र. छात्र ने 2018-19 में 12वीं कक्षा में दाखिला लिया। हालांकि पिछले साल की तुलना में ‘पत्राचार’ के पास-प्रतिशत में सुधार आया है, लेकिन पत्राचार माध्यम से 10वीं कक्षा की परीक्षा में 68 प्रतिशत छात्र फेल हुए। इसके बावजूद तीन विधायकों ने चार वर्षों में शिक्षा से संबंधित कोई मुद्दा नहीं उठाया। 

Riya bawa

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