दृष्टिबाधित छात्र को MBBS में दाखिला दिलाने में उच्च न्यायालय ने व्यक्त की   असमर्थता

Friday, Jul 27, 2018 - 08:37 AM (IST)

चेन्नईः मद्रास उच्च न्यायालय ने एक दृष्टिबाधित छात्र की मदद करने में असमर्थता जताते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। याचिका में दिव्यांग श्रेणी के तहत एमबीबीएस या बीडीएस में एक सीट दिलाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। 

 

अदालत ने कहा कि 40 प्रतिशत या इससे ज्यादा दृष्टिबाधित व्यक्ति को अनुमति प्रदान नहीं करने के नियम को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।  न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने जे.एस. विग्नेश बालाजी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रतिभावान होने के बावजूद याचिकाकर्ता चिकित्सा शिक्षा के लिए योग्य नहीं है क्योंकि वह चिकित्सा शिक्षा पर विवरणिका और भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद के दिशा - निर्देशों में दर्ज शतों को पूरा नहीं करता।  

 

याचिकाकर्ता ने दिव्यांग श्रेणी के तहत शैक्षाणिक वर्ष 2018-2019 के एमबीबीएस / बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए चयन कमेटी को निर्देश देने की मांग की थी।  याचिकाकर्ता के मुताबिक दिव्यांग श्रेणी में कुल 120 सीटों में केवल 20 सीटें ही भरी जा सकी और उसने चयन समिति के समक्ष आरक्षण के तहत उसकी उम्मीदवारी पर विचार करने का अनुरोध किया। 

 

वहां से कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की। न्यायाधीश ने कहा कि निशक्तता प्रमाणपत्र के तहत याचिकाकर्ता 75 प्रतिशत दृष्टिबाधित है।  विवरणिका के तहत 40 प्रतिशत या इससे ज्यादा दृष्टिबाधित शख्स ग्रेजुएट चिकित्सा शिक्षा पाने के लिए योग्य नहीं है। 
  
 

Sonia Goswami

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