कचरा बीनने वाले, झाडू बनाने वाले हाथों में अब होगी शिक्षा की लकीर

punjabkesari.in Sunday, Jul 08, 2018 - 12:07 PM (IST)

जयपुर : जहां चाह वहां राह। राजस्थान के अजमेर में एक अभिनव पहल के तहत गरीब परिवारों के बच्चों के कचरा बीनने वाले और झाड़ू बनाने वाले हाथों में शिक्षा की लकीर खींचने का प्रयास किया जा रहा है ताकि इसके सहारे वह समाज की मुख्यधारा में अपनी जगह बना सकें।   

 

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की नगरी के रूप में विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाले अजमेर शहर में यह अभिनव पहल जिला कलक्टर आरती डोगरा ने की है और शुरुआती नतीजे यह उम्मीद बंधाते हैं कि शिक्षा की यह लकीर एक दिन इन बच्चों को उजले भविष्य तक ले जाएगी।  आरती डोगरा ने बताया कि एक महीने पहले एक स्वयं सेवी संस्थान की पहल पर शहर के बच्चों के लिए ड्राइंग पेंटिंग सहित कुछ कलात्मक गतिविधियों का आयोजन किया गया। 

 

इस आयोजन में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उनके माता-पिता से बात की गई। बच्चे धीरे-धीरे इस कार्यक्रम से जुड़ने लगे तो उन्हें अगले कदम के तौर पर शिक्षा से जोड़ने की योजना पर काम शुरू हुआ। कच्ची बस्ती में रहने वाले इन सभी बच्चों को तीन जुलाई को बस्ती के पास चोरासियावास के सरकारी सैकंडरी स्कूल में दाखिल करवाया गया और जरूरत का सारा सामान मुहैया कराया गया।   

 

उन्होंने बताया कि इस पहल में 7 से 12 वर्ष की आयु के बच्चे शामिल है, हालांकि बडे बच्चों को भी इस पहल में शामिल किया गया है। हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड और एक स्वयं सेवी संस्थान की मदद से, गरीबी से जूझ रहे बच्चों की पढाई का जिम्मा उठाया गया है। इनमें शहर के वे 20 बच्चे भी शामिल हैं, जिनके कंधे पर कल तक कचरे का झोला हुआ करता था। आज उनके कंधों पर स्कूल बैग है।    

 

इसके अलावा करीब 50 बच्चों को शिक्षा के रास्ते पर चलना सिखाया जा रहा है। इन बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिये स्कूल बस की व्यवस्था की की गयी है। बच्चों का शिक्षा से जुड़ाव गहरा होता रहे इसलिए इनकी कोङ्क्षचग की भी व्यवस्था की गई है।  डोगरा ने बताया कि बच्चों को स्कूल तक लाना आसान है, लेकिन उनका पढ़ाई से मन न हटे यह अपने आप में मुश्किल काम है और अब हम इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए इन सभी बच्चों को पढ़ाने के साथ ही मिड डे मील, किताबों का खर्च सरकार वहन कर रही है। स्कूल बस और कोचिंग, खेलकूद का खर्च हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की मदद से किया जा रहा है। बच्चों को स्कूल से आने के बाद संगीत, ड्राइंग पेंटिग, खेलकूद आदि गतिविधियों के जरिये व्यस्त रखने का प्रयास किया जा रहा है।       

 

उन्होंने बताया कि स्कूल प्रबंधन को भी 5-5 बच्चों का ग्रुप बनाकर अतिरिक्त कक्षाएं लगाने का अनुरोध किया गया है। पहले बीकानेर की जिला कलेक्टर रहीं डोगरा ने इससे पूर्व बीकानेर में‘डाक्टर्स एंड डाटर्स’मुहिम के तहत सोनोग्राफी क्लीनिक चलाने वाले चिकित्सकों की मदद से 40 छात्राओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का बीड़ा उठाया था। बीकानेर के एक एक चिकित्सक को एक एक छात्रा की पढाई का जिम्मा दिया गया था।  

 

उन्होंने बताया कि इन सभी 40 बच्चियों को शिक्षा से जोडऩे के सार्थक परिणाम सामने आये है। हाल ही में एक बच्ची ने 12वीं कक्षा में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं और छात्रा को मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिये कोचिंग दी जा रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से भी सभी ग्राम पंचायतों में सरकारी स्कूलों में नामाकंन बढ़ाने और ड्राप आउट बच्चों को स्कूल से दोबारा जोड़ने के लिए सभी एसडीओ और बी​डीओ को निर्देशित किया गया है।  


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Sonia Goswami

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