‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को साकार करती हैं नई शिक्षा नीति : केंद्रीय शिक्षा मंत्री

punjabkesari.in Friday, Jan 29, 2021 - 12:30 PM (IST)

एजुकेशन डेस्क: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल‘निशंक'ने कहा कि कला उत्सव और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत'' की परिकल्पना साकार करते हैं। डॉ. निशंक ने एनसीईआरटी और शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से आयोजित कला उत्सव 2020 के समापन पर गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है और कला उत्सव 2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझावों को भी शामिल किया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक विद्यार्थी में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर ज़ोर देती है।

इसी विधा को व्यवसाय के रूप में भी चुनने का मिलेगा अवसर
यह नीति, इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से व्यक्ति में ‘साक्षरता और संख्याज्ञान' जैसी ताकिर्क और ‘समस्या समाधान' संबंधी ‘संज्ञानात्मक तथा बुनियादी' क्षमताओं का विकास होता है। साथ ही साथ मनुष्य के जीवन में नैतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और भावनात्मक मूल्यों का भी विकास होता है।'' इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस ‘कला उत्सव' में शामिल ‘स्थानीय/पारंपरिक खेल-खिलौने' एक ऐसी विधा है, जो भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान का पुरज़ोर समर्थन करती है। इसमें बच्चे, न केवल अपने स्थानीय/पारंपरिक खेल-खिलौनों को बनाने की प्रक्रिया को व्यवहार में लाएँगे, बल्कि भविष्य में इससे उन्हें, इसी विधा को व्यवसाय के रूप में भी चुनने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह उत्सव प्रधानमंत्री के विज़न ‘‘वोकल फ़ॉर लोकल'' ‘टू रीच ग्लोबल' को भी प्रोत्साहित करता है। यह स्थानीय/पारंपरिक खेल-खिलौनों के निर्माण के माध्यम से उन्हें इन विधाओं में व्यावसायिक अवसरों को तलाश कर व्यवसाय का माध्यम बनाने का अवसर देता है।

पारंपरिक और सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध
‘‘वोकल फ़ॉर लोकल'', स्थानीय/पारंपरिक खेल-खिलौनों को वैश्विक (ग्लोबल) पहचान बनाने के लिए भी प्रेरित करता है।'' केंद्रीय मंत्री ने इस प्रकार के कला उत्सव की महत्ता बताते हुए कहा कि यह उत्सव परंपरागत ज्ञान को व्यवहार में लाने और उसमें सैद्धांतिक प्रयोगों को शामिल करने की मान्यता देता है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे इनोवेशन की संभावनाओं को पर्याप्त बल के साथ ही यथार्थ के धरातल पर उतारने का पर्याप्त अवसर मिलता है।‘द्दश्यकला'और‘पारंपरिक खेल-खिलौने की विधा‘, विद्यार्थियों को उनके पारंपरिक और सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध करती है. इस उत्सव से जुड़ा हर बच्चा हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समाज के प्रत्येक कोने तक पहुंचाने का कार्य करेगा।'' उन्होनें पुरस्कृत छात्रों को बधाई देते हुए एवं अन्य छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि कला उत्सव कोई प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि एक उत्सव है इसलिए इसे उत्सव के रूप में ही विकसित होने दें। इस कला उत्सव 2020 का शुभारंभ 10 जनवरी को डिजिटल मंच के माध्यम से ऑनलाइन किया गया था।

कुल 35 टीमों ने भाग लिया
इसमें कुल 35 टीमों ने भाग लिया जिनमें राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों,केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति से कुल 576 प्रतिभागियों ने अपनी कला प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इन प्रतिभागियों में 290 छात्र एवं 286 छात्राओं ने जनपद और राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन से राष्ट्रीय कला उत्सव में सहभागिता सुनिश्चित की है। इस कला उत्सव में चार दिव्यांग विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। इस उत्सव में प्रतिभागियों ने शास्त्रीय संगीत गायन, पारंपरिक लोक संगीत गायन, शास्त्रीय संगीत वादन, पारंपरिक लोक संगीत वादन, शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, द्वि-आयामी द्दश्य-कला, त्रि-आयामी द्दश्य-कला, स्थानीय खेल-खिलौने, जैसी कलाओं में अपनी कला का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव अनीता करावल, एनसीईआरटी के प्रभारी निदेशक प्रो. श्रीधर श्रीवास्तव, एनसीईआरटी के सचिव मेजर हर्ष कुमार, कला उत्सव के ज्यूरी के सदस्य, इस उत्सव में भाग लेने वाले बच्चे, उनके अभिभावक, शिक्षक, शिक्षा मंत्रालय एवं अन्य राज्यों के अधिकारी और स्वायत्त संस्थानों के सदस्य भी उपस्थित थे।


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rajesh kumar