इस वजह से शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं लाखों छात्र

Saturday, Feb 23, 2019 - 12:05 PM (IST)

नई दिल्लीः मूल्यांकन के लिए सटीक आंकड़े की कमी, स्कूलों में ईडब्ल्यूएस छात्रों के विकास में सुस्ती और उपलब्ध सीटों और नामांकन फीसद में अंतर शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के लागू होने में कमजोरी के मुख्य कारणों में शामिल हैं। एनजीओ इंडस एक्शन की ओर से जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (सी) का लक्ष्य सामाजिक समावेश में सुधार लाना है। इसके साथ ही निजी, गैर सहायता प्राप्त, गैर-अल्पसंख्यक और विशेष श्रेणी के स्कूलों में ईडब्ल्यूएस और वंचित समूह (डीजी) के बच्चों के लिए प्रवेश स्तर पर न्यूनतम 25 फीसद सीट आरक्षित किया जाना है। 'ब्राइट स्पॉट : स्टेटस ऑफ सोशल इन्क्लूजन थ्रू आरटीई' शीर्षक से रिपोर्ट एक सर्वे पर आधारित है। एनजीओ इंडस एक्सन ने 10,000 से ज्यादा प्रतिभागियों पर सर्वे कर यह रिपोर्ट तैयार की है।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'कुछ राज्यों में प्रति आरक्षित सीट के आवेदकों की संख्या के विश्लेषण से पता चला है कि कुछ राज्यों ने क्षमता बढ़ाने के लिए शुरू से अंत तक ऑनलाइन संचालन स्थापित किया है। सभी राज्यों में जागरूकता का स्तर भिन्न है। अभिभावकों का अपने बच्चों का नामांकन निजी स्कूलों में दाखिला दिलाने में रुचि की पहचान करने के लिए प्रति सीट आवेदन को पैमाने के रूप में इस्तेमाल किया गया।'


रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'दूसरा मुद्दा यह है कि स्कूलों को कोई आवेदन नहीं मिलता है या कम शुल्क वाले निजी स्कूल अभिभावकों को प्रोत्साहित करने में कम रुचि दिखाते हैं। इसका अर्थ यह है कि आरटीई नामांकन के तहत सीटों के खाली रह जाने की संभावना बनी रहती है।'

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वंचित बच्चों के लिए सूचना की कमी है। इसमें यह सुझाव दिया गया है कि जमीनी स्तर पर नामांकन पूर्व और नामांकन के बाद हस्तक्षेप की जरूरत है। इंडस एक्शन द्वारा गुरुवार को एक कार्यक्रम में पीवीआर नेस्ट के सहयोग से यह रिपोर्ट जारी की गई है।

Sonia Goswami

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