गांधी जी का नवजीवन ट्रस्ट साबरमती जेल में कैदियों के लिए शुरू करेगा पत्रकारिता का पहला पाठ्यक्रम

Friday, Oct 05, 2018 - 05:01 PM (IST)

अहमदाबादः  महात्मा गांधी द्वारा आजादी की लड़ाई के दौरान यहां स्थापित प्रकाशन गृह नवजीवन ट्रस्ट यहां ऐतिहासिक साबरमती सेंट्रल जेल के कैदियों के लिए पत्रकारिता डिप्लोमा का पाठ्यक्रम शुरू करेगा जो देश भर में अपनी तरह का इकलौता ऐसा पाठ्यक्रम होगा।  

 

15 अक्टूबर से शुरू होने वाले एक साल के इस पाठ्यक्रम के लिए जेल के 20 सजायाफ्ता कैदियों को चुना गया है। उन्हें प्रिंट पत्रकारिता के साथ ही प्रूफ रिडिंग की भी शिक्षा दी जाएगी और जेल के भीतर उन्हें काम भी दिया जाएगा और इसके लिए भुगतान भी होगा।  बापू के जीवन से संबंधित सभी कहानियों समेत अब तक गुजराती, अंग्रेजी, हिन्दी और अन्य भाषाओं में सैकड़ों पुस्तकें छाप चुके नवजीवन ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी विवेक देसाई और साबरमती जेल के जेलर एच एल वाघेला तथा शिक्षा समन्वयक विभाकर भट्ट ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि डिप्लोमा पाने वाले कैदी इसके आधार पर जेल से बाहर आने पर अखबारों अथवा पत्रिकाओं काम पा सकेंगे। ट्रस्ट उनको इससे पहले प्रूफ रिडिंग संबंधी अपना और अन्य प्रकाशकों का काम भी दिलाएगा।  श्री देसाई ने बताया कि सप्ताह में तीन दिन जेल के भीतर ही गुजराती माध्यम में पढ़ाई होगी और बाहर से प्राध्यापक जाकर उन्हें पढ़ाएंगे। 

 

पाठ्यक्रम के लिए 20 कैदियों को शैक्षणिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए चुना गया है।   ज्ञातव्य है कि आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी भी साबरमती जेल में रहे थे। वह जिस कोठरी में रहे थे उसे अब बापू खोली के नाम से संरक्षित रखा गया है। गांधी जयंती के मौके पर जेल में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 

 

श्री देसाई ने कहा कि ट्रस्ट तीन साल से जेल में कैदियों की पढ़ाई, रोजगार तथा कला आदि संबंधी कई कार्यक्रम चला रहा है। बापू की 150 वीं जयंती के मौके पर उन्हें सामाजिक गतिविधियों से जोड़ने के लिए पत्रकारिता का पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इसमें बापू के नवजीवन अखबार और उनके अनुभव का भी समावेश किया गया है।  
 

Sonia Goswami

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