बच्चों की उच्‍च शिक्षा का सपना होगा साकार, अगर अपनाएंगे ये फॉर्मूला

Monday, Nov 12, 2018 - 03:00 PM (IST)

नई दिल्लीः उच्‍च शिक्षा की लागत में दिनों-दिन होती बढ़ोतरी की वजह से यह जरूरी है कि आप अभी से अपने बच्‍चों के हाइयर एजुकेशन की तैयारी शुरू कर दें। वर्तमान में इंजीनियरिंग, मैडीकल या मैनेजमेंट की पढ़ाई सस्‍ती नहीं रह गई है। वह जमाना कब का चला गया जब इंजीनियरिंग की पढ़ाई में 5-10 लाख रुपए लगते थे। वर्तमान में अगर मान लिया जाए कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई का खर्च 25 लाख रुपए है तो 10 साल बाद यह कितना होगा? शिक्षा की लागत में महंगाई दर से कहीं ज्‍यादा तेजी से इजाफा हो रहा है। मतलब, 10 साल बाद बिजनेस एजुकेशन और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का औसत खर्च क्रमश: 70 लाख रुपए और 50 लाख रुपए के करीब आएगा। हम फीस में प्रति वर्ष 8 फीसदी की बढ़ोतरी मानकर चल रहे हैं। इसके अलावा अच्‍छे संस्‍थान में दाखिला लेने के लिए बच्‍चों को कोचिंग भी लेनी पड़ती है जिसका खर्च अभी इसमें जोड़ा ही नहीं गया है।

पहले ये ही प्‍लान बनाकर चलें

विकसित देशों में उच्च शिक्षा के लिए सरकार की योजनाएं हैं लेकिन भारत में ऐसा कोई विकल्‍प नहीं है। शिक्षा दिनों-दिन खर्चीली होती जा रही है और माता-पिता को अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए योजना बना कर चलना चाहिए। अच्छा तो यह रहेगा कि माता-पिता बच्चों की शिक्षा के लिए शुरू से ही बचत करते चलें। 

अपने प्‍लान के हिसाब से बढ़ाएं निवेश की रकम


अगर आप 15,000 रुपए का मासिक निवेश करते हैं तो रिटर्न की विभिन्‍न दरों के हिसाब से 10 साल बाद आपको कितने पैसे मिलेंगे। जरूरत के अनुसार आपको अपने निवेश की राशि बढ़ानी पड़ेगी।

कहां करें अपने बच्‍चों के लिए निवेश

माता-पिता बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए अगर निवेश करना चाहते हैं तो उन्‍हें म्‍युचुअल फंडों में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) के जरिये निवेश करना चाहिए। इसके तहत एक निश्चित राशि का निवेश हर महीने म्‍युचुअल फंडों की विभिन्न योजनाओं में किया जाता है।  

 

ज्‍यादा रिटर्न पाने के लिए इक्विटी म्‍युचुअल फंडों में करें निवेश

इक्विटी फंडों में रिस्‍क ज्‍यादा होता है लेकिन इनमें सबसे अधिक रिटर्न देने की क्षमता भी होती है। आम तौर पर इक्विटी फंड लंबे समय में 11-18% का रिटर्न देते हैं। इक्विटी फंड मुख्‍य रूप से शेयरों में निवेश करते हैं इसलिए कम समय में इसके मूल्य में काफी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। बाजार की गिरावट के समय जो निवेशक धैर्य रख सकते हैं वह इन फंडों से ज्यादा लाभ अर्जित कर सकते हैं।

Sonia Goswami

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