डूटा की मांग को मिला समर्थन,  3 हजार शिक्षकों के प्रमोशन का उठाया गया मुद्दा

Saturday, Oct 06, 2018 - 05:05 PM (IST)

नई दिल्ली : डीयू द्वारा यूजीसी रेगुलेशन 2018 के संशोधन और नियमन के लिए गठित उच्च स्तरीय कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा शिक्षकों के प्रमोशन व प्रिंसिपल के कार्यकाल को 5 साल करने पर हुई। डूटा की दोनों ही मांगों को समर्थन मिला है। बैठक में लगभग 3 हजार शिक्षकों के प्रमोशन का मुद्दा भी उठा जोकि पिछले दस साल से अधिक समय से लंबित हैं, उसे पुरजोर तरीके से उठाया गया।
 
गौरतलब है कि छठें वेतन आयोग की सेवा शर्तों में शामिल एपीआई स्कीम ने प्रमोशन में कई समस्याएं खड़ी कर दी थीं, जिन्हें शिक्षक विरोधी भी कहा जाता है। नए रेगुलेशन में लंबित मामलों को राहत देकर प्रमोशन का रास्ता साफ किया गया है। अब शिक्षकों के सामने एपीआई रहित रेगुलेशन 2018 उदार और नरम बना दिया गया है। इस रेगुलेशन में शिक्षकों को रिफ्रेशर और ओरियंटेशन की बाध्यता से राहत देते हुए, जिन शिक्षकों के प्रमोशन दिसम्बर 2018 तक लंबित होंगे उन्हें रिफ्रेशर से पूरी तरह मुक्त रखा गया है। 

वहीं, डीयू की एकेडेमिक काउंसिल के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि बैठक में शिक्षक समुदाय को बड़ी राहत देने पर सहमति बनी है। डूटा की प्रिंसिपलों को 5 साल का एक ही कार्यकाल देने की मांग का भी समर्थन किया गया है, क्योंकि इससे प्रिंसिपलों की मनमानी पर रोक लगेगी और ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को कॉलेज का नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा और संस्थाओं का विकास होगा। डूटा लंबे समय से प्रिंसिपलों के कार्यकाल को सीमित करने की मांग करता रहा है और इस मांग को पूरा करने के लिए यूजीसी से लेकर एमएचआरडी तक संघर्ष करता रहा है।


 

pooja

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