आपदा प्रबंधन में है रोजगार के नए अवसर

Wednesday, Aug 30, 2017 - 05:13 PM (IST)

नई दिल्ली : इन दिनों पूरी दुनिया में प्राकृतिक आपदाओं का दौर जारी है। बाढ़ के कारण बिहार में ना जाने कितने लोगों की जान चली गई। भारत में 2011 में करीब 2 लाख 50 हजार लोगों के लिए आपदा प्रबंधन, रोजगार का जरिया था और 2020 तक इस क्षेत्र में औसतन 33 फीसदी सालाना की दर से नौकरी के अवसर बढ़ने की संभावना है।ऐसे में डिजास्टर मैनेजमेंट करियर का एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एपिडेमियोलॉजी ऑफ डिजास्टर की एक रिपोर्ट के अनुसार अनियमित मानवीय गतिविधियों के चलते पिछली शताब्दी के मुकाबले इक्कीसवीं सदी में आपदाओं की संख्या 67 फीसदी बढ़ी है और इसमें आर्थिक और मानवीय क्षति का अनुपात भी बढ़ रहा है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर डिजास्टर मैनेजमेंट यानी आपदा प्रबंधन वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की जिम्मेदारी आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें मुख्य धारा में फिर से वापस लाने की होती है। निगरानी और मूल्यांकन करना, राहत एवं बचाव कार्यों में सक्रिय भागीदारी निभाना, पुनर्निर्माण और पुनर्वास से संबंधित कार्य आपदा प्रबंधन का हिस्सा होते हैं। आपदाओं के दौरान डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के योगदान के महत्व को समझते हुए सरकार भी अब इन पेशेवरों को बड़े पैमाने पर नियुक्त कर रही है।

क्या होता है काम
आपदा प्रबंधक का मुख्य काम प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले जान−माल के नुकसान को न्यूनतम करना होता है। साथ ही वे आपदा के शिकार लोगों की न सिर्फ जान बचाते हैं, बल्कि राहत कार्यों में भी सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। उनका कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि समस्त आवश्यक सहायक साधन और सुविधाएं सही समय पर आपदाग्रस्त क्षेत्र में उपलब्ध हों। वैसे आपदा प्रबंधक का कार्य देखने में जितना आसान लगता है, वह वास्तव में उतना ही कठिन होता है। आपदा प्रबंधक का कार्य बेहद जोखिम भरा होता है। कभी−कभी तो उन्हें अनजान खतरों का सामना भी करना पड़ता है, जिसमें उन्हें अपनी जान का जोखिम भी लेना पड़ता है। इतना ही नहीं, अक्सर दूसरों की जान बचाने के चक्कर उनकी खुद की जान भी चली जाती है। इसलिए यह क्षेत्र केवल उन्हीं लोगों के लिए है, जो अपनी जान से ज्यादा दूसरों की जान को महत्व देते हैं।

स्किल्स
एक बेहतर आपदा प्रबंधक बनने के लिए आपके मन में जनसेवा का भाव होना बेहद आवश्यक है। साथ ही आपको शारीरिक व मानसिक रूप से बेहद स्ट्रांग भी होना चाहिए ताकि आप अत्यधिक दबाव व तनावपूर्ण स्थितियों में बिना आपा खोए अपना कार्य सही ढंग से कर सकें। आपका कार्य करने का उत्साह व दूसरों की मदद करने का जज्बा कभी भी फीका नहीं पड़ना चाहिए।

योग्यता
इस क्षेत्र में अपना भविष्य देख रहे छात्रों का 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक होना आवश्यक है। इसके बाद आप सर्टिफिकेट, डिप्लोमा से लेकर मास्टर्स डिग्री तक कर सकते हैं। वैसे इस क्षेत्र में शॉर्ट टर्म कोर्सेस से लेकर डिस्टेंस लर्निंग कोर्स भी उपलब्ध हैं।

कोर्स
सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट
डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट
एमए इन डिजास्टर मैनेजमेंट
एमबीए इन डिजास्टर मैनेजमेंट
पीजी डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट

संभावनाएं
कोर्स करने के पश्चात् आप सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। देश के विभिन्न सरकारी विभाग जैसे फायर डिपार्टमेंट या सूखा प्रबंधन क्षेत्र में हमेशा ही प्रोफेशनल्स की डिमांड बनी रहती है। चूंकि प्राकृतिक आपदाएं दुनिया के किसी भी हिस्से में हो सकती हैं, इसलिए डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की डिमांड विदेशों में भी होती हैं। आप चाहें तो वहां के एनजीओ, यूएनओ, राहत एजेंसियों, एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेड क्रॉस या यूनेस्को आदि के साथ जुड़कर भी कार्य कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप टीचिंग और रिसर्च क्षेत्र में भी कॅरियर की संभावनाएं तलाश कर सकते हैं।अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं भी अपने यहां अनुभवी आपदा विशेषज्ञ रखती हैं।

आमदनी
इस क्षेत्र में आमदनी से अधिक आत्मिक शांति ज्यादा महत्व रखती है। जहां तक सवाल आमदनी का है तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस संस्था के साथ जुड़कर कार्य कर रहे हैं। फिर भी शुरूआती तौर पर आप दस हजार से लेकर बीस हजार रुपए आसानी से कमा सकते हैं। वहीं थोड़े अनुभव के पश्चात आपका पद व आमदनी भी बढ़ जाती है।

प्रमुख संस्थान
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नई दिल्ली
दिल्ली इंस्टीटयूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
इंदिरा गांधी राष्टीय मुक्त विश्वविद्यालय, दिल्ली
गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली
राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा महाविद्यालय, महाराष्ट्र
इंस्टीटयूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट एंड फायर सेफ्टी, पंजाब
डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, मध्य प्रदेश


 

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