ई-पुस्तकों के बावजूद प्रकाशित किताबों की धूम, बिक्री पर नहीं पड़ा कोई असर : अहमद नोमान

Wednesday, Jan 10, 2018 - 11:29 AM (IST)

नई दिल्ली : इंटरनेट आने के बाद ई-पुस्तकों का दौर शुरू हुआ और इसके रफ्तार पकडऩे से प्रकाशकों तथा पाठकों के संख्या में प्रकाशित किताबों के भविष्य को लेकर सवाल उठने लगे। लेकिन नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में आए प्रकाशकों की मानें तो ई-पुस्तकों का दायरा बढऩे के बावजूद प्रकाशित किताबों की धूम बरकरार है और पाठक इन्हें ही तरजीह रहे हैं। प्रकाशकों का कहना है कि ई पुस्तक और प्रकाशित किताबों का बाजार अलग-अलग है। वक्त के साथ नए-नए माध्यम आते हैं मगर नए माध्यम आने से पुराने की चमक फीकी नहीं पड़ती है। हालांकि उनका मानना है कि पाठक सफर के दौरान ई-पुस्तक पढऩा या सुनना चाहेंगे लेकिन पाठकों ने किताब को सीने पर रखकर सोने या सिरहाने रखने की अपनी आदत को बदला नहीं है। 

ई-पुस्तक (इलैक्ट्रॉनिक पुस्तक) कागज की बजाय डिजिटल रूप में होती हैं जिन्हें कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य डिजिटल यंत्रों पर पढ़ा जा सकता है। ‘वाणी प्रकाशन’ के प्रबंध निदेशक अरुण महेश्वरी ने कहा,‘‘जब ई-पुस्तक आना शुरू हुई तो प्रकाशकों में हलचल हुई कि अब प्रकाशित पुस्तकों को कौन खरीदेगा लेकिन यह सब हमारे लिए माध्यम साबित हुए। यह हमारे लिए सहयोगी हैं। इसमें एक-दूसरे के लिए विरोधाभास नहीं है, जिसे जिस माध्यम पर पढऩा है वह उस माध्यम पर पढ़ सकता है। मकसद यह है कि आप पेश क्या कर रहे हैं।’’  अरुण ने बताया कि गाड़ी चलाने के दौरान या सफर में किताब को पढऩे के बजाय ऑडियो पुस्तक से किताब सुनी जा सकती है लेकिन ऐसे पाठक अब भी मौजूद हैं जो अपने सीने पर किताब रखकर सोना चाहते हैं या अपने बिस्तर के सिरहाने किताब रखना चाहते हैं।  

उन्होंने बताया कि ई- पुस्तक, ऑडियो पुस्तक, हार्ड बाउंड किताबें तथा पेपर बैक किताबें यह सब अलग-अलग चीजे हैं और बाजार सभी के लिए अपनी-अपनी किस्म का है जिसको जो चाहिए उसको वो मिलता है।’’ ‘राजकमल’ प्रकाशन के प्रबंधक अशोक महेश्वरी ने ‘भाषा’ से कहा कि नई किताबें इसलिए आ रही हैं क्योंकि उनकी मांग है।   उन्होंने बताया कि वक्त के साथ नए माध्यम आएंगे जो अपने पुराने माध्यमों (किताबों) के समानांतर अपनी जगह बनाएंगे। नए माध्यमों के आने से किताबों की बिक्री कम नहीं हुई है।  

अशोक ने कहा कि ई-पुस्तक और ऑडियो पुस्तक का जो दौर आ रहा है वो अपनी जगह बनाता जाएगा। अगर कोई सफर में होगा या चल रहा होगा या जल्दी में होगा तो वह ई-पुस्तक पढ़ेगा या ऑडियो पुस्तक सुनेगा, लेकिन जब उसके पास वक्त होगा और वह आराम से पढऩा चाहेगा तो वह प्रकाशित किताब ही पढ़ेगा। इसलिए ई-पुस्तक और प्रकाशित किताब का बाजार अलग है और इनमें कोई विरोधाभास नहीं है।  अरुण ने कहा, ‘‘ जब इंटरनेट आया था लोग कहते थे कि रोजगार खत्म हो जाएंगे लेकिन अब हम देखते हैं कि रोजगार बढ़े हैं। ऐसा ही ई-पुस्तक को लेकर भी है।  राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के प्रमुख बलदेव भाई शर्मा ने भी कहा है कि ई-पुस्तक आने से प्रकाशित किताबों पर असर नहीं पड़ा है और पिछले साल एनबीटी ने देशभर में करीब 12 लाख पुस्तकें बेची थी। लोग अपनी रुचि के अनुसार किताबें पढऩे का माध्यम चुन सकते हैं लेकिन जरूरी यह है कि लोगों में पढऩे की आदत पड़े।  एनबीटी द्वारा आयोजित 26वां नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला यहां प्रगति मैदान में चल रहा है। इसका आगाज छह जनवरी को हुआ था और यह इस रविवार तक चलेगा।
 

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