उच्चतम न्यायालय ने किया महाराष्ट्र में पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश संबंधी आदेश में सुधार से इंकार

Monday, Jun 10, 2019 - 06:42 PM (IST)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में 2019 -20 के शैक्षणिक सत्र में पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश से संबंधित चार जून के निर्देशों में संशोधन के लिये दायर आवेदनों पर सोमवार को विचार करने से इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाश पीठ ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिये10 फीसदी सीटें आरक्षित करने संबंधी अधिसूचना पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के आदेश के बाद सारी सीटों को कड़ाई के साथ मेरिट के आधार पर ही भरा जाना चाहिए। महाराष्ट्र सरकार की ओर से अधिवक्ता निशांत आर कातनेश्वरकर और राज्य के सेट प्रकोष्ठ के वकील ने पीठ से कहा कि वे पीजी मेडिकल और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिये शीर्ष अदालत द्वारा निर्देशित नियम का सख्ती से पालन कर रहे हैं। शीर्ष अदालत में आवेदन दायर करने वाले छात्रों के एक समूह ने चार जून के उस आदेश में सुधार का अनुरोध किया था जिसमे कहा गया था कि अब इस मामले में कोई भी अदालत किसी भी याचिका पर विचार नहीं करेगी। एक अन्य आवेदन में उस निर्देश को संशोधित करने का अनुरोध किया गया था जिसमें न्यायालय ने कहा था कि किसी भी छात्र को पांच मार्च 2019को आवेदन करते समय पाठ्यक्रम के आबंटन के लिये दी गयी वरीयता में किसी प्रकार का बदलाव करने की अनुमति नहीं होगी।

किसी भी अदालत द्वारा किसी आवेदन या याचिका पर विचार नहीं करने संबंधी आदेश में संशोधन का अनुरोध करते हुये छात्रों ने शीर्ष अदालत से यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया था कि चार जून का उसका आदेश महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य की शिक्षण संस्थाओं में सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़े वर्गो के लिये प्रवेश के लिये आरक्षण संबंधी अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला करने में बाधक नहीं होगा। यह याचिका पहले से ही बंबई उच्च न्यायालय में लंबित है। शीर्ष अदालत ने चार जून को अपने आदेश में महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि राज्य में पीजी मेडकिल और दंत चिकित्सा के पाठ्यक्रमों के लिये अंतिम दौर की काउंसलिंग 14  जून तक पूरी की जाये। 

bharti

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