एकता को प्रभावित कर सकती है हिंदी की अनिवार्यता: माकपा

punjabkesari.in Wednesday, Jun 26, 2019 - 03:50 PM (IST)

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन के स्नातक पाठ्यक्रमों में हिंदी को एक विषय के तौर पर थोपने के आरोपों के बीच विश्वविद्यालय ने कहा कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि ऐसा दुष्प्रचार किया जा रहा है और कहा कि मामले पर चर्चा टाल दी गई है। छात्र संघ ने कहा था कि शुक्रवार को अकादमिक परिषद की 151वीं बैठक का एक एजेंडा बीए और बीटेक पाठ्यक्रमों के लिए स्नातक स्तर पर हिंदी को अनिवार्य विषय बनाना है। 
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माकपा का कहना है कि स्नातक पाठ्यक्रमों में हिन्दी को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की यूजीसी की कोशिश अन्य भाषाई समूहों के लिए बहुत सारी समस्याएं खड़ी करेगी और इससे देश की एकता प्रभावित हो सकती है। हिन्दी को अनिवार्य विषय बनाने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने जुलाई 2018 में पत्र लिखा था कि वे स्नातक पाठ्यक्रमों में इस भाषा को शामिल करने की संभावनाओं पर विचार करें। यूजीसी से उस परिपत्र को वापस लेने की मांग करते हुए वाम दल ने कहा कि इससे पहले भी हिन्दी को थोपने का प्रयास विफल रहा है।

वाम दल ने एक बयान में कहा कि माकपा पोलित ब्यूरो पूरे भारत में स्नातक पाठ्यक्रमों में हिन्दी को अनिवार्य विषय बनाने के यूजीसी के प्रयासों को लेकर चिंतित है। पार्टी का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 के मसौदे के तहत हिन्दी को थोपने के प्रयासों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में यह परिपत्र जारी किया जाना थोड़ा अजीब है।  

 


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Author

Riya bawa

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