12वीं के बाद कोर्स की उलझन

punjabkesari.in Wednesday, Mar 28, 2018 - 09:55 AM (IST)

12वीं के बाद विद्यार्थियों के सामने किसी अच्छे संस्थान में दाखिला पाने की उधेड़बुन रहती है। विकल्प बढऩे के साथ-साथ उनके सामने किसी एक को चुनने का दबाव भी बढ़ता जाता है। एेसे में कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि मनचाहा कोर्स बेहतर भविष्य का आधार बन सके...

रमेश ने इस साल बायोलॉजी ग्रुप के विषयों के साथ 12वीं बोर्ड की परीक्षा दी है। उसकी परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं तथा उसको अब स्नातक में अपने लिए पसंदीदा कोर्स चुनना है। उसकी इच्छा है कि कोई उसे कम अवधि के किसी एेसे कोर्स के बारे में बताए, जिसे करके तत्काल नौकरी मिल जाए और परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके। 
अधिकांश विद्यार्थियों की स्थिति रमेश जैसी ही होती है, जो अपने लिए पसंदीदा कोर्स और करियर विकल्प चुनने की कवायद के बीच उलझे नजर आते हैं। सच तो यह है कि 12वीं के बाद विकल्पों की भरमार है और एेसे में काफी सोच-समझ कर ही दाखिले के लिए आगे बढऩा चाहिए।

सलाह के बाद ही लें एडमिशन:  वैसे तो 12वीं लैवल के बाद ही करियर से संबंधित अधिकांश राहें खुल जाती हैं, पर कई बार विद्यार्थी इतने जागरूक नहीं होते हैं कि उन्हें विभिन्न पाठ्यक्रमों अथवा संस्थानों के बारे में सब कुछ पता ही हो। एेसे में दाखिले से पहले उचित जांच-पड़ताल और विशेषज्ञों से सलाह बेहद जरूरी है।

अभिभावकों की भूमिका : अभिभावक भी इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि उनके बच्चे किसी अच्छे संस्थान अथवा मनचाहे कोर्स में दाखिला लेकर उनका तथा उनके परिवार का नाम रोशन करें। इसके लिए वे अपना सब कुछ दाव पर लगा देते हैं। कई बार तो यह विद्यार्थियों के हित में होता है। उन्हें लगता है कि चलो अच्छा है, पेरैंट्स उनकी परेशानी दूर करने में भागीदार बन रहे हैं, जबकि कई बार विद्यार्थी इसे दबाव के रूप में लेते हैं। उनको लगता है कि अभिभावक जबरन अपनी पसंद उन पर थोप रहे हैं। इससे विद्यार्थियों के सामने भटकाव की स्थिति आ जाती है। वे न चाहते हुए एेसे कोर्स में दाखिला ले लेते हैं जो उनकी पसंद के अनुरूप नहीं होता है। यह ठीक नहीं है।

जिसमें रुचि हो, वही चुनें : कोई काम यदि रुचि के साथ न किया जाए तो उसका परिणाम उतना अच्छा नहीं आ पाता। कोर्स के चयन में भी यह बात लागू होती है। यदि कोर्स पसंद का नहीं है तो उसमें विद्यार्थी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कभी भी नहीं कर सकता है। एेसे में यदि विद्यार्थी किसी परंपरागत अथवा गैर-परंपरागत कोर्स में एडमिशन चाहता है, तो उसे सबसे पहले अपने करियर का लक्ष्य तय करना होगा। इस लक्ष्य के निर्धारण में उसे अपनी रुचि का ध्यान रखना होगा, क्योंकि इसी फैसले से भविष्य की रूपरेखा तय होती है इसलिए प्रोफैशन चुनते समय अपने आप को परखें, फिर किसी नतीजे पर पहुंचें।

काऊंसलर की मदद लें : कोई भी प्रोफैशन चुनने से पहले विद्याॢथयों को काऊंसलर से अवश्य बात कर लेनी चाहिए। काऊंसलर उनको करियर विकल्पों के फायदे व नुक्सान के बारे में बताते हैं। इससे विद्यार्थियों को कोर्स के बारे में गहरी जानकारी मिलती है। कई बार काऊंसलर विद्यार्थियों को उनकी पसंद का ही कोई एेसा विकल्प तलाश देते हैं, जिन पर विद्यार्थी की कभी दृष्टि नहीं गई, लेकिन यह संभव हो पाएगा जब विद्यार्थी काऊंसलर से फेस-टू-फेस बात करें।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Punjab Kesari

Related News