केंद्र ने संविदा शिक्षकों पर बिहार सरकार के रूख का समर्थन किया

Friday, Jul 13, 2018 - 11:55 AM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र ने बिहार में 2006 के कानून के तहत नियुक्त संविदा शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन के खिलाफ राज्य सरकार के रूख का समर्थन किया और कहा कि वे कानून बनने से पहले नियुक्ति पाने वालों के समान नहीं हैं न्यायमूर्ति एएम सप्रे और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ के समक्ष दायर अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा कि बिहार सरकार ने पिछली राज्य सरकार के शिक्षकों और पंचायत शिक्षकों के बीच वेतन समानता और व्यापक सार्वजनिक हित के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है। इसमें दलील दी गई है कि जब राज्य ने नव - नियुक्त पंचायती राज शिक्षकों के लिए नए सेवा नियमों को अपनाने का सजग निर्णय लिया है तो एक खत्म हो रहे कैडर और स्थायी जीवंत कैडर के बीच समानता का दावा नहीं हो सकता है।

 

इसमें कहा गया है कि 29 जनवरी के उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार मुख्य सचिव रैंक के तीन अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी ताकि अनुबंधित शिक्षकों को बेहतर वेतन पैकेज प्रदान करने की व्यवहार्यता पर गौर किया जा सके। उन्होंने एक विशेष परीक्षा पास करने के बाद मौजूदा वेतन में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव दिया था। 

 

 हलफनामे में कहा गया है कि राज्य और देश पर इसका गंभीर वित्तीय विस्तार होगा तथा अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऐसे ही समान दावे किए जाएंगे जहां शिक्षकों को विभिन्न तरीकों और वेतन ढांचे के जरिए भर्ती किया जा रहा है।  बिहार में संविदा शिक्षकों को 2006 के नियमों के तहत निश्चित वेतन पर नियुक्त किया गया था जिसे  नियोजित शिक्षा नियुक्ति नियमावली कहा जाता है।   उच्चतम न्यायालय ने 16 मार्च को केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि खर्चों के वहन के लिए संयुक्त योजना तैयार की जाए ताकि पटना उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार राज्य में संविदा शिक्षकों को बराबर काम के लिए बराबर वेतन मिल सके।   
 

Sonia Goswami

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