सावधान!  खतरे में निजता,  ऑनलाइन बिक रही लाखों स्टूडेंट्स की डिटेल्स

Thursday, Jul 19, 2018 - 02:07 PM (IST)

नई दिल्ली : हर किसी के सविधान में राइट टू प्राइवेसी का अधिकार दिया गया है, लेकिन हॉल में ही निजता के उल्लंघन का एक मामला सामने आया है। एक वेबसाइट का दावा है कि उसके नीट की परीक्षा में बैठे 2.5 लाख छात्रों का रिकॉर्ड मौजूद है जिसमें छात्रों का अनुक्रमांक, परीक्षा में रैंक और मोबाइल नंबर आदि शामिल है। गौरतलब  है कि मेडीकल कॉलेजों में दाखिले के लिए सीबीएसई की ओर  से नीट का आयोजन किया जाता है।  यह छात्रों की निजता और डेटा के उल्लंघन का गंभीर मामला है , लेकिन वेबसाइट चलाने वाली इस कंपनी के मालिक का दावा है कि वह वैध कारोबार कर रहा है और इस डेटा पर उसका मालिकाना अधिकार है। 

एेसे लेती है स्टूडेंट्स से डेटा 
कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी प्रवीण चौधरी बताया कि  कंपनी विभिन्न माध्यमों से सीधे छात्रों से डेटा संग्रह करती है। इस डेटा का सबसे बड़ा स्रोत सोशल मीडिया विज्ञापन है।  कंपनी का दावा है कि वह फेसबुक पर विज्ञापन देती है जहां छात्रों को करियर सलाहकारों से मदद लेने के लिए अपनी जानकारी मुहैया कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। चौधरी ने कहा कि अपने भविष्य के बारे में करियर विशेषज्ञों से मुफ्त मदद लेने के लिए छात्र खुशी-खुशी अपनी जानकारी दे देते हैं। अलबत्ता इस पूरी प्रक्रिया में यह बात नहीं बताई जाती है कि चौधरी की कंपनी डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड करती है ताकि लोग इसे देख सकें। अगर आप 1 लाख रुपये देते हैं तो आपको मोबाइल नंबर सहित छात्रों की पूरी जानकारी मिल जाएगी।  चौधरी ने कहा, 'शैक्षणिक कंपनियों में इस तरह के डेटा की भारी मांग है। ये कंपनियां छात्रों को मदद करती हैं या फिर उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए अपने उत्पाद बेचने का कारोबार करती हैं। ये कंपनियां छात्रों से संपर्क करने के लिए हमारी सेवा का इस्तेमाल करती हैं। छात्रों को हमारे प्लेटफॉर्म के जरिये टेक्स्ट मेसेज भेजे जाते हैं।'

एेसे चलता है ये  खेल 
नीट के सभी रिकॉर्ड देखने के लिए कंपनी 1 लाख रुपये वसूलती है। इसके बाद खरीदार कंपनी के प्लेटफॉर्म के जरिये छात्रों को उनके मोबाइल नंबर पर अपने प्रचार के लिए मेसेज भेज सकती है। खरीदार राज्यवार भी छात्रों के डेटा हासिल कर सकते हैं। नारी टेक्रोलॉजी 1 लाख एसएमएस मुफ्त देती है और उसके बाद एक लाख मेसेज खरीदने पर 14,000 रुपये देने पड़ते हैं।  चौधरी ने कहा कि ने पिछले साल मिले सबक के बाद एसएमएस मॉडल अपनाया है। पिछले साल उसने मुफ्त में फोन नंबर मुहैया कराए थे जिसका शिक्षा क्षेत्र से बाहर की कंपनियों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता था। उन्होंने कहा, 'ऑनलाइन लोग छात्रों के मोबाइल नंबर के 10 में से 7 अंक ही देख सकते हैं और साइन करने के बाद भी वे इस डेटा को कॉपी नहीं कर सकते हैं लेकिन हमारे प्लेटफॉर्म के जरिये मैसेज भेज सकते हैं। इसी तरह हम कमाई करते हैं।'

स्टूडेंट्स को नहीं है खबर 
विशेषज्ञों का मानना है कि  वेबसाइट के छात्रों की निजी जानकारी का इस्तेमाल करना निजता के लिए बड़ा खतरा है। इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए देश में पर्याप्त कानून नहीं हैं। यही वजह है कि लोग निजता कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।' चौधरी ने स्वीकार किया कि लोगों से जानकारी लेने से पहले वह इसे व्यावसायिक संस्थानों को बेचने के बारे में अनुमति नहीं मांगते हैं।

bharti

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