पॉलिटिक्स में करियर बनाना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम की है

Saturday, Oct 27, 2018 - 10:26 AM (IST)

नई दिल्लीः सक्रिय राजनीति में स्टूडेंट इंटर्नशिप अमरीकन पॉलिटिकल सिस्टम में पहले से लोकप्रिय है। यह कॉन्सेप्ट भारत में तब सामने आया, जब गुजरात असेम्बली इलेक्शन 2012 के दौरान आईआईटी और आईआईएम के बहुत-से स्टूडेंट्स और ग्रेजुएट्स, भाजपा, आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों का डेटा एनालिसिस, सर्वे और इवेंट्स ऑर्गेनाइज करने जैसे कार्यों में सहायता करने के लिए आगे आए। एक मत यह भी है कि वर्ष 2011 में अन्ना हजारे के इंडिया अगेन्स्ट करप्शन मूवमेंट ने देश में पॉलिटिकल इंटनर्शिप की शुरुआत की। 

ज्यादातर पॉलिटिकल इंटर्न्स की उम्र औसतन 20 से 25 वर्ष होती है और वे कैंपेनिंग के दौरान दिन में 18 से 20 घंटे काम करने की क्षमता भी रखते हैं। हालांकि इंटर्न्स को किसी तरह की सैलरी नहीं दी जाती है, फिर भी एक फिक्स स्टाइपेंड दिया जाता है। पॉलिटिकल इंटर्न्स को दी जाने वाली सैलरी के बारे में जानकारों का कहना है कि पार्टी वार रूम्स में की-इनसाइट और एनालिसिस के आधार पर बहुत ही स्किल्ड यंग प्रोफेशनल्स को एक लाख रुपए महीने तक का भुगतान किया जाता है। 
इंटनर्शिप पूरी होने पर इंटर्न्स को सर्टीफिकेट ऑफ एक्सपीरिएंस प्रदान किया जाता है, जो उनके सीवी को वजनदार बनाता है। एक राजनीतिक पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता के अनुसार, 2014 आम चुनावों और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी के साथ कैंपेनिंग कर चुके बहुत-से इंटर्न्स को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसे नामी संस्थानों में हायर स्टडीज के मौके भी मिले हैं। 

यंग इंडिया फेलोशिप प्रोग्राम और बेंगलुरू में नेशनल लॉ स्कूल संचालित करने वाली अशोका यूनिवर्सिटी के अलावा कोई यूनिवर्सिटी पब्लिक पॉलिसी में कोर्स नहीं करवाती है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च इंस्टीट्यूट, लेजिस्लेटिव असिस्टेंट्स टु मेंबर्स ऑफ पार्लियामेंट नामक फेलोशिप उपलब्ध करवाता है। मानसून सेशन से बजट सेशन तक आयोजित इस फेलोशिप के दौरान इंटर्न्स को 20 हजार रु प्रतिमाह स्टाइपेंड दिया जाता है। 
  

Sonia Goswami

Advertising