रेडियो जॉकी आवाज में दुनिया में उभरता करियर विकल्प

punjabkesari.in Sunday, Apr 22, 2018 - 04:05 PM (IST)

नई दिल्ली : आज के समय में अगर किसी भी व्यक्ति तक कोई भी सूचना पहुंचानी है तो सबसे ज्यादा प्रयोग मीडिया के साधनों का ही किया जाता है। भारत में टीवी आने के बाद रेडियो की घटती लोकप्रियता से किसी ने सोचा भी नहीं था कि मिलेनियम की शुरुआत में रेडियो फिर से लोगों का पसंदीदा मनोरंजन का साधन बन जाएगा। यह सब हुआ है एफएम की वजह से। आज हर शहर में अपने अलग- अलग रेडियो चैनल्स है जो लोगों का मनोरंजन करते है। इसके अलावा स्मार्टफोन के बढ़ते प्रयोग के कारण हर किसी के पास आसानी से पहुंचने वाला सूचना स्त्रोत भी बन चुका है।  जिस रफ्तार से नए-नए एफएम चैनलों की संख्या बढ़ रही है, उस गति से इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं का विस्तार भी हो रहा है। आज बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इसके दीवाने हो गए हैं और इस पर होस्ट करने वाला रेडियो जॉकी हर उम्र के लोगों का दोस्त बन चुका है। आज रेडियो जॉकी का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है। वह जहां पूरे प्रोग्राम की तैयारी करता है, वहीं अपनी आवाज  का लोहा भी मनवाता है। एफएम चैनलों के आने पर जिस तरह से इसमें करियर की संभावनाएं बढ़ी हैं, उसके चलते युवाओं को यह फील्ड काफी भा रही है। रेडियो का आविष्कार सूचना क्रांति का द्योतक माना जाता था लेकिन एफएम रेडियो की शुरुआत को सूचना क्रांति के नए आयाम के रूप में देखा जाता रहा है। 

कौन है रेडियो जॉकी 
रेडियो जॉकी वह व्यक्ति होता है जो रेडियो पर प्रसारित होने वाले म्यूजिकल प्रोग्राम की एंकरिंग करता है। रेडियो जॉकी में ऐसी कला का होना जरूरी है जिससे वह म्यूजिकल प्रोग्राम के सहारे अपने हुनर से श्रोताओं का मनोरंजन कर सके। इसके लिए वह श्रोताओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर ट्रैफिक की उस दिन की स्थिति, उस दिन के मौसम आदि चीजों की जानकारी देते हुए प्रोगाम को आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। यह ऐसा प्रोफेशन है जिसमें मेहनत और हुनर की जरूरत होती है। उसमें यंगस्टर को ज्यादा तवज्जो दी जाती है क्योंकि उनके अंदर नए जोश, नई सोच और नए उत्साह की भरमार होती है। प्रत्येक रेडियो जॉकी का अपना कम्युनिकेशन स्टाइल होता है जिससे उसे पहचान मिलती है। यह क्षेत्र अधिकाधिक मेट्रो शहरों में तेजी से विकास कर रहा है जिसके चलते यहां नौकरी का ऑप्शन भी काफी खुलने लगा है।

शैक्षणिक योग्यता 
अब समय के साथ-साथ हर क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। अत: यह क्षेत्र भी प्रतियोगियों से भरा पड़ा है। यह फील्ड भी अब प्रेफेशनल डिग्री धारकों को ज्यादा तवज्जो देने लगा है। वैसे तो देश भर में विभिन्न शिक्षण संस्थानों से जनसंचार की पढ़ाई करने के बाद इस क्षेत्र में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। इसके अलावा देश भर में कुछ संस्थानों में रेडियो जॉकी का डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी कराया जाता है। स्नातक स्तर पर प्रवेश लेने के लिए बारहवीं पास होना जरूरी है।

अवसर कहां-कहां 
इस क्षेत्र में मेट्रो शहरों में ज्यादा ऑप्शन होते हैं। ये रेडियो प्रोग्राम को प्रस्तुत करते हैं। इनके हुनर से श्रोताओं की संख्या में इजाफा और गिरावट दोनों ही देखने को मिलती हैं। रेडियो जॉकी को कुछ ऑडियो सॉफ्टवेयर से भी अवगत होना पड़ता है जिसकी मदद से वह प्रोग्राम को आगे बढ़ाता है। कम्प्यूटर ज्ञान के साथ उसको करेंट अफेयर और मूवी के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। इस क्षेत्र में सॉफ्टवेयर प्रोड्यूसिंग कंपनी और एंकरिंग दोनों क्षेत्रों में अच्छा ऑप्शन मिलता है। मुख्य रूप से ऑल इंडिया रेडियो हर तीन महीने पर आरजे यानी रेडियो जॉकी के लिए ऑडिशन कराता रहता है। इसके अलावा कुछ कंपनियां दो महीनों में भी ये ऑडिशन टेस्ट आयोजित करती हैं। इस क्षेत्र में ऑल इंडिया रेडियो एफ एम, टाइम्स एफ एम, रेडियो मिड-डे सॉफ्टवेयर प्रोड्यूसर, रेडियो वाणी आदि रेडियो स्टेशन में जॉब अप्लाई कर सकते हैं।

आमदनी 
यह सेक्टर आमदनी के लिहाज से काफी अच्छा है। शुरुआती दौर में 15 से 20 हजार रुपए की सैलरी पर नौकरी मिल जाती है। यह अलग बात है कि इसके लिए विभिन्न तरह की परीक्षा से गुजरना पड़ता है जैसे वॉयस चैकअप आदि। इसके अलावा सॉफ्टवेयर प्रोड्यूसिंग कंपनियां भी हाई सैलरी पर लोगों को हायर करती हैं, जो समय के साथ बढ़ती रहती है। इसके अलावा एड कामर्शियल में वॉयस ओवर के दौरान अच्छी कमाई भी कर सकते हैं। कुछ विदेशी रेडियो कंपनियां तीन से चार हजार रुपए प्रति घंटे के हिसाब से आरजे यानी रेडियो जॉकी का भुगतान करती हैं।

सेल्फ ड्रिवन कोर्स 
रेडियो जॉकी यानी आरजे बनने के लिए सबसे जरूरी है पैशन। अगर आपकी आवाज ज्यादा दमदार नहीं भी है, तो उसे प्रैक्टिस से तराशा जा सकता है। पर आपको हाजिर जवाब और आत्मविश्वास से भरपूर होना होगा। रेडियो जॉकी जितना प्रजेंटेबल होगा और लोगों की इमोशंज को भांप कर अपनी बात रखेगा, वह उतना ही पसंद किया जाएगा। जो युवा इस करियर को अपनाना चाहते हैं, उन्हें समझना होगा कि यह सेल्फ ड्रिवन फील्ड है, जिसमें इंटर्नशिप की शुरुआत कर आप शीर्ष पर पहुंच सकते हैं।

प्रमुख संस्थान 
इस क्षेत्र में जनसंचार की पढ़ाई करने के बाद अप्लाई कर सकते हैं लेकिन अगर किसी को केवल इस क्षेत्र में पढ़ाई करनी है तो वह आरजे में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स भी निम्न संस्थानों से कर सकते हैं-
मीडिया एंड फिल्म इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया, मुंबई
करियर फेम, कोलकाता
सेंटर फॉर रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, नई दिल्ली
इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
मुद्रा इंस्टीच्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन, अहमदाबाद
एजेके एमसीआरसी जामिया, मिलिया, इस्लामिया, नई दिल्ली


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