करियर में लाएं ये बदलाव,सफलता पाने में मिलेगी मदद

Saturday, Aug 25, 2018 - 06:37 PM (IST)

नई दिल्ली : आज के दौर में हर कोई अपने करियर को लेकर बहुत चितिंत रहता है। वह हर समय अपने करियर में आगे बढ़ने की कोशिश करता है इसके लिए वह करियर में बजलाव लाने में भी पीछे नहीं हटता। कॅरिअर विशेषज्ञ भी मानते हैं, जिन लोगों में हमेशा कुछ नया या अलग करने की लालसा होती है और जो बदलाव के साथ सामंजस्य बिठा लेते हैं उनकी तरक्की की स्पीड कई गुना तेज होती है। एेसेमें अगर आप भी अपने करियर में बदलाव चाहते है और आगे बढ़ कर तरक्की करने की इच्छा रखते है तो ये टिप्स आपके काम आ सकते है। 

लगाव मत पालिए 
अगर आप बदलाव और संभावनाओं को दिल से अपनाना चाहते हैं तो आपको कामों को करने के आरामदायक तरीकों से निजात पानी होगी।  लेखक लिओर अरुसि के मुताबिक हम अपना करियर ऊंची आशाओं और उम्मीदों के साथ शुरू करते हैं और दुनिया को जीत लेना चाहते हैं। लेकिन अंतत: होता यह है कि हम काम की किसी प्रक्रिया या रोल या अपनी किसी स्किल के साथ सहज हो जाते हैं।ऐसा करना हमें प्रोसेस ऑपरेटर की भूमिका में ला देता है। क्योंकि इस स्थिति में हम उन कामों या स्किल पर ही रुक जाते हैं जिनके साथ हम सहज हैं। साथ ही कामों को अलग-अलग ढंग से करने में भी अनिच्छुक रहते हैं। बस इसी पॉइंट पर आकर संभावनाओं के दरवाजे आपके लिए बंद हो जाते हैं और उन्नति रुक जाती है। 

मकसद की स्पष्टता 
आप अपने करियर में बदलाव अपनी इच्छा से लाएं या किसी परिस्थिति (जैसे कंपनी में छंटनी पर जॉब चेंज) के कारण, आपको अपने मकसद के परिणाम के बारे में स्पष्ट रहना होगा। आपको यह देखना होगा कि आप कहां पहुंचना चाहते हैं और यह आपकी कोर वैल्यूज से कैसे मेल खाता है। जिस तरह संस्थान अपनी चेंज मैनेजमेंट स्ट्रैटजीज को अपने गोल्स के साथ मिलाकर चलते हैं उसी तरह आपको भी अपने करियर गोल्स के बारे में पता होना चाहिए और यह भी मालूम होना चाहिए कि बदलाव किस तरह आपको अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद देगा। इस स्पष्टता के बाद आपकी आगे की राह आसान हो जाएगी। 

काम की तकनीक 
इसके लिए जो भी परिणाम आप चाहते हैं उसे विजुअलाइज करें और ऐसे बर्ताव करें मानो वह बदलाव हो ही गया हो। उदाहरण के तौर पर अगर आपके बॉस बदलने वाले हैं तो सोचिए कि नए सुपरवाइजर से आप कैसे बर्ताव की उम्मीद कर रहे हैं। आप अपनी कैसी इमेज उनकी नजरों में देखना चाहते हैं। अब इसकी प्रैक्टिस भी शुरू करें। कॉन्शियस व सबकॉन्शियस प्रोग्रामिंग का मिश्रण विपरीतता के प्रभाव को कम करता है। 

नहीं बदलने की जिद है, पहली चुनौती 
बदलाव के इस मैनेजमेंट में जो सबसे पहले चुनौती आती है वह है नए टूल्स या प्रोसेज को न अपनाने की प्रवृत्ति। लिओर के अनुसार, जब लोग बदलाव से डर जाते हैं तो अन्य अवसर देखना उनके लिए मुश्किल होता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप बैंक में कैशियर हैं और इस काम से आपको बेहद लगाव है तो उस स्थिति की कल्पना कीजिए जब सारा काम ऑटोमेशन के जरिए होगा। यह तनाव खुदबखुद कुछ नया सीखने के लिए आपको प्रेरित करेगा।दरअसल आपके करियर में संतुष्टि या लगाव जिस तरह नई चीजों के लिए आपको अनिच्छुक बना देता है वह आपके भविष्य के लिए घातक हो सकता है। इससे आप नई चीजों को आजमाने से रुक जाते हैं। इसके बजाय आपको अपने जॉब के असल मकसद को समझना चाहिए।

छोटे बदलावों की प्रैक्टिस 
विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी बदलाव के साथ सहज होने के लिए नियमित प्रैक्टिस करनी होगी। किसी नए टॉपिक का अध्ययन या कंफर्ट जोन से बाहर किसी अलग प्रोजेक्ट पर काम करने की प्रैक्टिस करें।काम पूरे होने पर खुद को रिवॉर्ड देना भी बदलाव के साथ सहज होने में मदद करेगा। सकारात्मक मजबूती और प्रोत्साहन से भी आप खुद को प्रेरित कर सकते हैं। 

bharti

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