जॉब के साथ पढ़ाई करने के लिए बेहतर ऑप्शन है डिस्टेंस लर्निंग

Thursday, Jul 26, 2018 - 05:28 PM (IST)

नई दिल्ली : 12वीं के बाद कई स्टूडेंट्स किसी न  किसी वजह से आगे की पढ़ाई रेगुलर नहीं रख पातें । कई बार आर्थिक मजबूरी के चलते उन्हें उन्हें काम के साथ - साथ पढाई करनी पड़ती है । एेसे में अगर कोई जॉब के साथ-साथ पढ़ाई करना चाहता है, तो उसके लिए डिस्टेंस लर्निंग बहुत अच्छा ऑप्शन है। आज के समय में डिस्टेंस लर्निंग एक ताकत बनकर उभरी है। एेसे में आपके लिए डिस्टेंस लर्निंग एक बेहतर अॉप्शन हो सकता है। आइए जानते है क्या है डिस्टेंस लर्निंग 

क्या डिस्टेंस लर्निंग 
अगर कोई घर बैठकर ही किसी ओपन यूनिवर्सिटी से कोई कोर्स करता है, तो उसे डिस्टेंस लर्निंग या डिस्टेंस एजुकेशन कहा जाता है। डिस्टेंस लर्निंग असल में एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें स्टूडेंट्स को कॉलेज या इंस्टीट्यूट में रहने की जरूरत नहीं होती। भारत में कई सारी ऐसी ओपन यूनिवर्सिटीज़ हैं, जो डिस्टेंस लर्निंग के कोर्सेज करवाती हैं। डिस्टेंस लर्निंग की वजह से आज एजुकेशन सेक्टर में बड़ा बदलाव आया है और इसके जरिए कम फीस में अच्छा कोर्स और हायर एजुकेशन किया जा सकता है।

डिस्टेंस लर्निंग में भी दमदार कोर्सेज़
डिस्टेंस एजुकेशन के क्षेत्र में कई संस्थानों ने अपना स्पेशलाइजेशन किया है। इसमें सबसे जाना पहचाना नाम बन चुका इग्नू आज अपने 77 से ज्यादा एकेडमिक, प्रोफेशनल, वोकेशनल, अवेयरनेस जेनरेटिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश के लाखों छात्रों को फायदा पहुंचा रहा है। इस दिशा में अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट, प्रोफेशनल स्तरों पर कोर्सेज़ की कमी नहीं है। यहां आर्ट्स, कॉमर्स, सांइस स्ट्रीमों में डिग्री या डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं। जिनमें फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, इकोनॉमिक्स, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस आदि प्रमुख हैं। प्रोफेशनल कोर्सो में बी-एड, बीबीए, बी-लिब आदि छात्रों की पहली पंसद बनते हैं। तो पीजी कोर्सेज में स्टूडेंट्स का झुकाव ज्यादातर एमए , एमएससी, एमकॉम, एमबीए में देखा गया है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिस्टेंस स्टडीज
सरकार ने जयपुर में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ डिस्टेंस स्टडीज की स्थापना की थी। जिसका मकसद डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से देश के बढते पूंजी बाजार को क्षमतावान नेतृत्व देना है। इस काम में आईआईडीएस को एजुकेशन डेवलेपमेंट एंड मैनेजेरियल रिसर्च ट्रस्ट (इडीएमआर) सहयोग करता है। आईटी, एचआर, प्रोडक्शन,फायनेंस इसके मुख्य क्षेत्र हैं।

फायदे?
एक अनुमान के मुताबिक इनमें शामिल कुल छात्रों में औसतन 60 से 65 फीसदी छात्र नौकरी पेशे से जुडे होते हैं। जिनके लिए अपने बिजी शिड्यूल में रेगुलर कोर्सेज के लिए वक्त निकालना मुश्किल होता है। डिस्टेंस कोर्सेज़ की मदद से अपनी क्वालीफिकेशन को बढ़ाकर तरक्की का सपना जरूर पूरा कर सकते हैं।

शिक्षा क्षेत्र में उम्रदराज लोगों की मौजूदगी यह बताने को काफी है कि लोग बढती उम्र में भी पढाई/डिग्रियों का रुझान रखते हैं। वैसे भी जिस तरह आज ओपन इकोनॉमी के दौर में रिटायरमेंट के बाद भी कंपनियां अपने ही कर्मचारियों या दूसरे अनुभवी कर्मचारियों को जगह दे रही हैं, लिहाजा उनका हाइली क्वालीफाइड रिज्यूम रिटायरमेंट के बाद भी उनके लिए स्कोप जीवित रखता है।

शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए डिस्टेंस लर्निंग संभावनाओं का एक स्त्रोत है। डिस्टेंस लर्निग इन्हें बगैर कहीं आये जाये घर बैठे डिग्री व डिप्लेामा पाने का अवसर देता है। इसके अलावा यह औसत प्रतिभा वाले उन छात्रों के लिए भी बड़ा सहारा है जो सीमित सीटों के चलते अक्सर प्रोफेशनल कॉलेजों में एडमिशन की दौड़ में पीछे रह जाते हैं।

संस्थान 
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी
डॉ. भीमराव अंबेडकर ओपन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
मदुरै कामराज यूनिवर्सिटी, मदुरै
दिल्ली यूनिवर्सिटी
मद्रास यूनिवर्सिटी
सिंबोसिस, पुणे
एसएनडीटी यूनिवर्सिटी

bharti

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