एविएशन इंडस्ट्री में भी है करियर के विकल्प

punjabkesari.in Wednesday, Feb 21, 2018 - 12:50 PM (IST)

नई दिल्ली : उड्डयन उद्योग (एविएशन इंडस्ट्री) दुनिया का सबसे तेजी से उभरने वाला क्षेत्र है। एयरक्राफ्ट मेंटनेंस में रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। मौजूदा समय में करीब पांच लाख पैसेंजर और कार्गो एयरक्राफ्ट के अलावा व्यापार व निजी कामों के लिए 40 लाख छोटे प्राइवेट विमानों का इस्तेमाल विश्व भर में हो रहा है। इस मामले में तेजी से विकसित होने वाले देंशों में भारत भी शामिल है, जहां नागिरक उड्डयन के क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि हुई है। उड्डयन उद्योग में दो प्रमुख ब्रांच होती हैं: फ्लाइंग ब्रांच और मेंटेनेंस ब्रांच। विमान के मेंटेनेंस की पूरी जिम्मेदारी एयरक्राफ्ट विभाग के इंजीनियर की ही होती है।

नेचर ऑफ वर्क
एक विमान को हमेशा उड़ने योग्य बनाए रखने के पीछे एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की बड़ी भूमिका होती है। विमान के इंस्ट्रूमेंटेशन और अन्य संबंधित भागों की मरम्मत, मेंटेनेंस और नियंत्रण की जिम्मेदारी इसी व्यक्ति पर निर्भर करती है। वह विमान के इंजन और लगातार काम कर रहे पुर्जों की भी जांच करता है। इसके अलावा एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग के क्षेत्र में डिजाइनिंग, विमानों का निर्माण और उनकी मेंटेनेंस के अलावा नेविगेशनल गाइडेंस, इंस्ट्रूमेंटेशन, हाईड्रॉलिक व न्योमेंटेंशन, इंजन और फ्यूल सिस्टम, कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम जैसे कार्य शामिल हैं। एयरक्राफ्ट मैकेनिक को कई प्रकार के अलग-अलग विमानों में कार्य करना पड़ता है। इन मैकेनिक को विमानों की क्षमता बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिकल सिस्टम, इंसपेक्शन और एयरकंडीशनिंग मैकेनिज्म की ट्रेनिंग भी दी जाती है। एयरक्राफ्ट मैकेनिक दो प्रकार के ऑपरेशन के तहत काम करते हैं।

लाइन मेंटेनेंस मैकेनिक्स
लाइन मेंटेनेंस मैकेनिक्स विमान के किसी भी संबंधित पुर्जे पर काम कर सकते हैं।
एयरपोर्ट पर इमरजेंसी या जरूरत के समय पर रिपेयरिंग का काम
फ्लाइट ‘टेक ऑफ के समय’ इंजीनियर के निर्देशानुसार निरीक्षण का कार्य

ओवरहॉल मैकेनिक्स
विमानों की उड़ान खत्म होने के बाद उनकी रुटिन मेंटेनेंस का काम ओवरहॉल मैकेनिक्स की देख-रेख में ही होता है।
विमान के एयरफ्रेम और मरम्मत की जिम्मेदारी एयरक्राफ्ट एयरफ्रेम मैकेनिक की होती है।
जबकि एयरक्राफ्ट पावर प्लांट मैकेनिक विमान के इंजन पर कार्य करते हैं।

योग्यता
बारहवीं में साइंस स्ट्रीम (फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित के साथ) से पढ़ाई करने के बाद अभ्यर्थी इसके एंट्रेंस एग्जाम में बैठ सकते हैं। चार साल के ऐरोस्पेस इंजीनियर कोर्स में दाखिले के बाद अभ्यर्थी इस क्षेत्र में नौकरी पा सकते हैं। एंट्री लेवल की जॉब पाने के लिए बैचलर इंजीनियरिंग (बीई) डिग्री से ही काम चलाया जा सकता है, जबकि बड़े पदों पर पहुंचने के लिए मास्टर या डॉक्टरेट डिग्री करना अनिवार्य है।

एएमई कोर्स में दाखिला पाने के लिए योग्यता
12वीं में फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित का कुल एग्रीगेट 50 प्रतिशत होना जरूरी है।
या किसी भी इंजनियरिंग विभाग से 3 साल का डिप्लोमा किया हो।
फीजिक्स, कैमिस्ट्री और गणित के साथ 12वीं के बाद बी.एसएसी में स्नातक किया हो।एयरक्राफ्ट के क्षेत्र में किसी भी पद पर नौकरी करने के लिए सिविल एविएशन के डायरेक्टर जनरल (डीजीसीए) से लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है।

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग लाइसेंस
भारत में एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग के पेशे में आने के लिए डीजीसीए से लाइसेंस प्राप्त करना बहुत जरूरी है। इस दिशा में ऐरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी एसोसिएट मेंबरशिप एग्जाम सर्टिफिकेशन में हाजिर होना पड़ता है। सफलतापूर्वक एग्जाम पास करने के बाद अभ्यार्थी डीजीसीए द्वारा प्रमाणित किसी भी संस्थान में दाखिला ले सकते हैं। यह सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हीं संस्थानों में सबसे प्रमुख मेंबरशिप एग्जाम के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इंटर्नल एग्जाम सेक्शन ए और बी में पास होने के बाद डीजीसीए आपको एएमई लाइसेंस जारी कर देगा। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आयु सीमा 23 वर्ष निर्धारित की गई है, लेकिन इंजीनियरिंग और साइंस में ग्रेजुएट को कुछ छूट मिल सकती है।

भारत के प्रमुख एएमई कॉलेज
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट इंजीनियरिंग, दिल्ली
गांधी एविएशन एकेडमी, बोवेनपल्ली, सिकंदराबाद
हैदराबाद (एपी) इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग, गौतम नगर, सिकंदराबाद
बेंगलुरू हिंदुस्तान एविएशन एकेडमी, चिन्नापनाहल्ली, बेंगलुरू
सेंटर ऑफ सिविल एविएशन ट्रेनिंग, दिल्ली
हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी, जीएसटी रोड, सेंट थोमस माउंट, चेन्नई
ऐरोनॉटिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, लखनऊ
 


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