ASER रिपोर्ट :  25 फीसदी स्टूडेंट्स नहीं पढ़ पाते अपनी मातृभाषा में लिखी किताब

Thursday, Jan 18, 2018 - 05:14 PM (IST)

नई दिल्ली : प्राथमिक स्कूलों की एनुअल स्टेटस एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) के अनुसार करीब 14 साल की उम्र के आठवीं पास कर चुके 53 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के वाक्यों को पढ़ लेते हैं। जबकि पिछले साल की इसी संगठन के सर्वे रिपोर्ट में कहा गया था कि 45 फीसदी बच्चे ही ऐसे वाक्यों को पढ़ने में सक्षम हैं। एक साल के भीतर आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, कुल परिणाम अच्छे नहीं हैं। लेकिन ताजा रिपोर्ट सुधार की ओर संकेत कर रही है।
गणित में नहीं हुआ कोई सुधार 
रिपोर्ट के अनुसार गणित के मामले में बच्चों की स्थिति में सुधार नहीं आ पा रहा है। आठवीं पास कर चुके 43 फीसदी बच्चे ही तीन अंकों की संख्या को एक अंक की संख्या से सही तरीके से विभाजित कर पाते हैं। पिछले साल का प्रतिशत भी यही रही। यानी गणित पर बच्चे जहां के तहां अटके हुए हैं। 
किताब नहीं पढ़ पाते स्टूडेंट
रिपोर्ट के अनुसार 14 से 18 साल की आयु के 25 फीसदी छात्र-छात्राएं अपनी मातृभाषा में लिखी किताब को पढ़ने में असमर्थ हैं। जबकि 75 फीसदी बच्चे किताब पढ़ लेते हैं। इसमें भी पहले की तुलना में थोड़ा सुधार हुआ है। 
14 साल तक के बच्चों में लैंगिक भेदभाव नहीं 
14 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों की प्रवेश दर लगभग एक है। यानी स्कूल भेजने में कोई भेदभाव नहीं हो रहा है। लेकिन 14-18 साल के बच्चों के आंकड़े देखें तो 32 फीसदी लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाने से वंचित हैं। जबकि लड़कों का 28 प्रतिशत है। 
दो तिहाई के छात्र मोबाइल की गिरफ्त में  
सर्वे में एक रोचक बात यह है कि 14-18 साल की उम्र के 73 फीसदी छात्र-छात्राएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं।14 साल तक के 64 और 18 साल के 82 फीसदी मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा केवल 5 फीसदी ही ग्रामीण बच्चे व्यावसायिक शिक्षा हासिल कर पाते हैं। 
 

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