Ambedkar Jayanti 2020: आज है भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस, जानें कुछ महत्वपूर्ण बातें

Tuesday, Apr 14, 2020 - 11:25 AM (IST)

नई दिल्ली: आज बाबा साहेब की 129 वीं जयंती मनाई जा रही है। बाबा साहेब के विचार हमेशा इंसान को समाज के प्रति प्रेरित करते हैं। बी.आर. अम्बेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है। वह एक अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक थें, जिन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, जिन्हें अछूत माना जाता था (उन्हें अभी भी देश के कुछ हिस्सों में अछूत माना जाता है)। भारत के संविधान के एक प्रमुख वास्तुकार, अम्बेडकर ने महिलाओं के अधिकारों और मजदूरों के अधिकारों की भी वकालत की।

अंबेडकर जी के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें 

जन्म और पढ़ाई 
-बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू, मध्यप्रदेश के एक गांव में हुआ था। बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले आंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की थी। इतना ही नहीं बाबा साहेब को स्कूल में काफी भेदभाव झेलना पड़ा था। 

-स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री के रूप में मान्यता प्राप्त, भारतीय गणराज्य की संपूर्ण अवधारणा के निर्माण में अम्बेडकर जी का योगदान बहुत बड़ा है। अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

- उन्होंने भारत के राज्य को पुरातन मान्यताओं और विचारों से मुक्त करने के लिए अर्थशास्त्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल किया। उन्होंने अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाने की अवधारणा का विरोध किया और सभी के लिए समान अधिकारों की वकालत की।

-दलित समाज के उत्थान और उन्हें जागरुक करने में डॉ. भीमराव आंबेडकर का योगदान अतुल्य है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जीवन संघर्ष और सफलता की ऐसी अद्भुत मिसाल है, जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। 

समान अधिकारों की वकालत 
अंबेडकर एक समझदार छात्र और कानून और अर्थशास्त्र के व्यवसायी थे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने भारत के राज्य को पुरातन मान्यताओं और विचारों से मुक्त करने के लिए अर्थशास्त्र में अपनी मजबूत पकड़ का इस्तेमाल किया। उन्होंने अछूतों के लिए अलग निर्वाचक मंडल बनाने की अवधारणा का विरोध किया और सभी के लिए समान अधिकारों की वकालत की।

ये है अंबेडकर जी के विचार
# "मैं उसी धर्म को मानता हूं, जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए। जब तक आप सामाजिक रूप से स्वतंत्र नहीं हैं, कानून जो भी आपको स्वतंत्रता देता है वह आपके लिए बेमानी है।"


#बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए। 
#अंबेडकर ने मनुष्य नश्वर बताते हुए उसके विचारों को भी नश्वर बताया। वे कहते थे एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं।

Riya bawa

Advertising