भारत की इस पॉलिसी से डरता है पाक, 72 से 96 घंटों में दुश्मन को किया जा सकता है खत्म

Wednesday, Feb 27, 2019 - 09:50 AM (IST)

एजुकेशन डेस्कः पुलवामा हमले के बाद पूरे देश में शोक का माहौल था और पाकिस्तान के प्रति एक आक्रोश था। सभी पाकिस्तान पर एक बड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे।  अब हाल ही में भारत ने एक और Surgical Strike करके पाकिस्तान को भौचक्का कर दिया है। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर उसे सबक सिखाया है। इसके बावजूद पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। इतना ही नहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर आसिफ़ गफूर ने कहा है कि, "बेवकूफ दोस्त से अक्लमंद दुश्मन बेहतर होता है। भारत दुश्मनी में बेवकूफ़ी और झूठ का सहारा लेता है।"

उन्होंने ये भी कहा,"भारतीय मीडिया में दावा किया जा रहा है है कि भारतीय वायुसेना के विमान 21 मिनट तक पाकिस्तान की सीमा पर रहे  लेकिन हम कह रहे हैं कि वे आएं और पाकिस्तान की सीमा में 21 मिनट तक रहकर दिखाएं।" गफूर ने ये भी कहा है, "भारत पाकिस्तान को चौंका नहीं सकता, हम ऐसी स्थिति के लिए तैयार थे। हम इसका जवाब देंगे। अलग तरह से जवाब देंगे और भारत को सरप्राइज देंगे।"


क्या है कोल्ड स्टार्ट पॉलिसी?
आपको बता दें, की "कोल्ड स्टार्ट" भारत की सेना द्वारा तैयार किया गया सैन्य सिद्वान्त है, जिसे पाकिस्तान के खिलाफ संभावित युद्ध को ध्यान में रखते हुए रक्षा रणनीतिकारों ने भारतीय सेना के लिए विकसित किया है। कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत के अनुसार सैन्य कार्रवाई का आदेश मिलते ही भारतीय सीमा पर 48 घंटों के अदंर ही एकीकृत सेना बल को सीमा पर तैनात किया जाता है। कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत का उद्देश्य यह है कि, युद्ध की स्थिति में यदि पाकिस्तान की ओर से परमाणु हमला होता है तो सैन्य बल शीघ्र कार्यवाही करके ऐसे हमलों को रोक सके। इससे पाकिस्तान के हमलों को कम समय में रोका जा सकता है। पाकिस्तान ने भारत की कोल्ड स्टार्ट पॉलिसी के खिलाफ कम रेंज वाले परमाणु हथियार विकसित किਏ हैं। खास तौर पर पाकिस्तान के परमाणु हमलों को रोकने के लिए सेना कठोर कदम उठाएगी। लेकिन इस तरह की स्ट्राइक सीमित होंगी। इस पॉलिसी के मुताबिक 72 से 96 घंटों में दुश्मन को खत्म किया जा सकता है। यह ऑपरेशन में एकीकृत युद्ध समूह द्वारा किया जाता है जिसमें भारतीय सेना की विभिन्न शाखाएं शामिल होती हैं।

इस तरह की रणनीति ऑपरेशन पराक्रम से प्रेरित थी जोकि 2001 में संसद के हमले के बाद किया गया था। यह ऑपरेशन एक एकीकृत युद्ध समूह द्वारा किया जाएगा जिसमें भारत सेना की विभिन्न शाखाएं शामिल होंगी। आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा था, भविष्य में होने वाले हमले छोटे और तेज होंगे। इसलिए हमें अपनी और अपनी तेजी को बढ़ाने के लिए तैयार करना होगा।   


यह युद्ध-रणनीति अस्तित्व में कैसे आई?
2002 के संसद हमले के गतिरोध में, जब कुछ आतंकवादियों ने भारतीय संसद पर हमला किया, तो भारतीय सेना को सीमा पर आतंकवादि गतिविधि रोकने के लिए तथा सीमा पर सेना को जुटाने और तैनात करने में लगभग दो महीने का समय लग गया। युद्ध की स्थिति में इस प्रकार की देरी के कारण, रक्षा रणनीतिकारों ने भारतीय सेना के लिए नए सिद्धांत को अपनाने के संदर्भ में बात करना शुरू किया, इस सिद्धांत के अंर्तगत सेना को ऐसी रणनीति अपनाने के लिए कहा गया, जो कुछ दिनों के नोटिस के बाद पूरी ताकत से हमला करने वाले बलों को सीमा पर तैनात करने में सक्षम करेगा, जो पहले आवश्यक था।

"कोल्ड स्टार्ट" इससे सबक लेने का एक प्रयास है, इस सिद्धांत द्वारा बहुत ही कम समय में सीमा के पास इकाइयों को एकीकृत करके स्थिति को नियंत्रित करने और अपना स्थान लेने में मदद करेगा। यह अंतरराष्ट्रीय युद्ध विराम की मांग करने से पूर्व भारत को एंटी आर्म्ड-फोर्स को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाने में मदद करेगा। यह परमाणु हमले में तेजी लाने के पाकिस्तान के औचित्य को भी नकार देगा।

Sonia Goswami

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