94% आईटी ग्रैजुएट नहीं है नौकरी के लायक : सीपी गुरनानी

Monday, Jun 04, 2018 - 05:49 PM (IST)

नई दिल्ली : भारत के 94 फीसदी ग्रेजुएट बड़ी कंपनियों में काम करने योग्य नहीं हैं। ये कहना है टेक महिंद्र के सीईओ चंद्र प्रकाश गुरनानी का। उन्होंने देश की क्वालिटी एजुकेशन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि मैनपावर स्किलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉकचेन, साइबर सिक्यॉरिटी, मशीन लर्निंग जैसी नई टेक्नोलॉजी में प्रवेश करना भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।उनका मानना है कि केवल 6 फीसदी आईटी ग्रैजुएट नौकरी पाने योग्य हैं।

भारतीय आईटी इंडस्ट्री स्किल चाहती है
गुरनानी ने कहा कि उन्हें लगता है इन सब चीजों को देखते हुए जब नौकरी की बात आती है, तो बड़ी आईटी कंपनियां 94 फीसदी आईटी ग्रेजुएट भारतीयों को इसके लिए योग्य नहीं मानती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली जैसे शहर में छात्र आज 60 प्रतिशत अंक लाने पर बीए-अंग्रेजी की पढ़ाई नहीं कर सकते हैं लेकिन वह निश्चित तौर पर इंजीनियरिंग की तरफ जा सकते हैं। मेरा कहना सिर्फ इतना है कि क्या हम बेरोजगार लोग पैदा नहीं कर रहे हैं? भारतीय आईटी कंपनी को स्किल की जरूरत है।

6 फीसदी ग्रैजुएट्स को नौकरी देती है टॉप आईटी कंपनियां
गुरनानी ने कहा, उदाहरण के तौर पर नासकॉम को साइबर सिक्योरिटी के लिए 2022 तक 6 मिलियन लोगों की जरुरत है लेकिन हमारे पास स्किल्स की कमी है। मेरा कहना यह है अगर मैं रोबोटिक्स व्यक्ति की तलाश में हूं और इसकी बजाय मुझे मेनफ्रेम का व्यक्ति मिलता है, तो यह एक स्किल गैप को बनाता है। यह एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने आता है। यदि आप टेक महिंद्रा आएंगे तो देखेंगे कि मैंने वहां पांच एकड़ का टेक और लर्निंग सेंटर बनाया है। दूसरी टॉप की कंपनियों ने भी कर्मचारियों की स्किल के लिए इस तरह की सुविधाएं बनाई हैं। सीखने की योग्यता, स्किल डेवलपमेंट और बाजार के लिए तैयार होने का भार इंडस्ट्री पर शिफ्ट हो रहा है। इन सबके बावजूद टॉप 10 आईटी कंपनियां केवल 6 फीसदी इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स को लेती हैं। 

25 फीसदी कम लोगों की जरूरत 
जब गुरनानी से पूछा गया कि बाकी के बचे हुए 94 प्रतिशत लोगों का क्या होता है तो उन्होंने कहा, भर्तियों पर इसका असर पड़ता है। एक कारण है कि समीकरण अब सीधे नहीं रहे हैं। उदाहरण के लिए पहले प्रत्येक मिलियन डॉलर की आमदनी के लिए 20 लोगों को काम पर रखा जाता था। अब यह समीकरण बदलता जा रहा है क्योंकि प्रोडक्टिविटी, ऑटोमेशन, उपकरणों और दूसरी चीजों में बढ़ोतरी हो रही है। अब उतने ही मिलियन डॉलर 15 नई नौकरियों के बराबर हो गए हैं। अब आपको 25 प्रतिशत कम लोगों की जरूरत पड़ती है।

bharti

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