सरकारी स्कूलों में 80 फीसदी प्रिंसिपलों के पद खाली

Sunday, Apr 14, 2019 - 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली(प्रियंका सिंह): शिक्षा की जड़ों को मजबूत करने के लिए कितने भी जतन कर लिए जाएं वह तब तक पूरे नहीं होते जब तक की स्कूल चलाने वाले प्रिंसिपल मौके पर मौजूद न हो। ऐसा ही माजरा आजकल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में देखने को मिल रहा है। यहां पर प्रिंसिपल की नियुक्ति न होने से शिक्षा प्रणाली कमजोर होती जा रही है। दरअसल, दिल्ली के लगभग 19 फीसदी स्कूलों में प्रिंसिपल कार्यरत हैं। ज्ञात हो कि दिल्ली के अंदर तकरीबन 1019 सरकारी स्कूल चल रहे हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से प्रिंसिपल के लिए 923 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से सिर्फ 176 पदों पर नियुक्ति हुई है, बाकि पद खाली पड़े हुए हैं। इस बारे में बताते हुए ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के सदस्य अशोक अग्रवाल ने बताया कि किसी भी स्कूल को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रिंसिपल का अहम किरदार रहता है। अगर देखा जाए तो दिल्ली के ज्यादात्तर सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपलों की नियुक्ति नहीं की गई है और जिन स्कूलों में प्रिंसिपल की नियुक्ति है। वो भी शिक्षा निदेशालय के अन्य काम लगे रहते हैं। उन्होंने बताया कि 176 सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल की नियुक्ति की गई है, जिनमें से 50 प्रिंसिपल शिक्षा निदेशालय के कोर्ट से लेकर अन्य काम में लगे रहते है। 

30 हजार शिक्षकों के पद भी खाली
दिल्ली सरकारी स्कूलों में तकरीबन 35 हजार शिक्षकों के पद खाली है। इसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। अशोक अग्रवाल ने बताया कि आज की तारीख में शिक्षा निदेशालय में शिक्षकों को 35 हजार शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए है। वहीं एमसीडी में लगभग 6 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं। 

‘परीक्षा पास नहीं कर पा रहे आवेदक’
दिल्ली सरकार की तरफ से रिक्त पड़े विभिन्न शिक्षकों के पद पर भर्ती निकाली गई थी लेकिन इनमें आवेदक पासिंग मार्क्स भी नहीं ला पाए। अशोक अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा स्पेशल एजुकेशन शिक्षक, पीजीटी पद पर अंग्रेजी शिक्षिका, पीजीट पद पर फिजिक्स शिक्षिका, टीजीटी पद पर गणित शिक्षिका, टीजीटी पद पर पंजाबी शिक्षक, टीजीट पद पर उर्दू शिक्षिका, एवीजीसी पद में शिक्षक और इवीजीसी पद पर शिक्षिका के लिए वर्ष 2018 में नियुक्ति निकाली गई है। ऐसे में लगभग 2400 पदों पर भर्ती निकाली गई थी, लेकिन इनमें से सिर्फ 596 आवेदकों ने ही परीक्षा उत्तीर्ण की। इसकी वजह से 1804 पद पर खाली पड़े हुए हैं। 

bharti

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