SC ने कहा, स्कूल ऐसा तरीका अपनाएं कि बच्चों को पढ़ने के लिए न जाना पड़े 3KM दूर

Monday, Sep 11, 2017 - 11:38 AM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों से स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर या उससे लंबा रास्ता तय करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि शिक्षा के अधिकार को सार्थक बनाने के लिए मिडिल स्कूलों को इस तरीके से बनाए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए कि किसी भी बच्चे को केवल स्कूल जाने के लिए इतना लंबा रास्ता तय नहीं करना पड़े। न्यायालय एक ऐसे मामले पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एक स्कूल को अद्यतन करने की अनुमति मिलने का केरल के एक स्कूल ने विरोध किया था। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह पाया कि पारापननगादी शहर में स्थित जूनियर प्राइमरी स्कूल से चौथी कक्षा पास करने वाले बच्चों को स्कूल जाने के लिए तीन-चार किलोमीटर या उससे भी ज्यादा लंबा रास्ता तय करना पड़ता है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम 10 से 14 आयु वर्ष के बच्चों से स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तय करने की उ्म्मीद नहीं कर सकते।संविधान की धारा 21ए के तहत 14 वर्ष की उम्र तक शिक्षा का अधिकार अब मौलिक अधिकार है और अगर इस अधिकार को अर्थपूर्ण बनाना है तो मिडिल स्कूलों को इस प्रकार से बनाने का प्रयास होना चाहिए कि बच्चे को स्कूल जाने के लिए तीन किलोमीटर या उससे अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं पड़े।’’ स्कूल को अपर प्राइमरी स्कूल तक अद्यतन किया गया था और जून 2015 को राज्य सरकार ने स्कूल को पांचवी कक्षा से ले कर आठवीं कक्षा तक चलाने की अनुमति दे दी थी।

राज्य सरकार के इस आदेश को एक अन्य स्कूल ने उच्च न्यायालय में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि इसमें केरल शिक्षा नियम 1959 ,के तहत किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया साथ ही उस क्षेत्र के किसी भी स्कूल को अद्यतन के संबंध में किसी भी प्रकार की आपत्ति उठाने के लिए कोई नोटिस नहीं भेजी गई। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने स्कूल की याचिका को मंजूर करते हुए राज्य के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि कानून के तहत किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। अदालत ने जूनियर प्राइमरी स्कूल को स्कूल में दाखिला ले चुके बच्चों को अगले शिक्षण सत्र तक पढ़ाने की अनुमति दे दी थी और कहा था कि इस मामले में सरकार कोई निर्णय ले सकती है।   इसके बाद जूनियर प्राइमरी स्कूल ने अदालत के इस निर्णय को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। जिसे खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। इसके बाद स्कूल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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