लॉकडाऊन में ‘संतानों द्वारा’ ‘बुजुर्गों से दुव्र्यवहार’ में वृद्धि
punjabkesari.in Wednesday, Jun 17, 2020 - 10:17 AM (IST)
देश में पहले ही अधिकांश बुजुर्ग अपनी संतानों के हाथों दुखी हैं परन्तु ‘कोरोना’ के चलते देश में लागू लॉकडाऊन के दौरान हर समय घर में बंद रहने के कारण उनकी मौजूदगी से अप्रसन्न अधिकांश संतानों द्वारा उनके साथ दुव्र्यवहार की घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
- * 31 मई को मुम्बई में एक बेटे ने अपनी 70 वर्षीय मां ‘लीलावती केदारनाथ दुबे’ को पीट कर घर से निकाल दिया।
- * 08 जून को मध्यप्रदेश के रत्नपुर में मुकेश पांडे नामक युवक ने अपने पिता राम खिलावन को रात लगभग 2 बजे नींद से जगाकर घर से निकाल दिया और रोकने पर अपनी मां द्रौपदी देवी को बुरी तरह पीट कर घायल कर दिया।
- * 13 जून को बिहार में हिलसा के ‘गुलनी’ गांव में कलियुगी पुत्र ने सम्पत्ति के लालच में अपने पिता गणेश प्रसाद, मां मीना देवी और बहन बेबी कुमारी को बुरी तरह मारपीट कर घर से निकाल दिया।
- * 15 जून को जबलपुर के गांव सहजपुर शहपुरा में जागेश्वर नामक युवक ने अपने वृद्ध पिता रंजीत सिंह राजपूत और मां को घर से निकाल दिया।
संतानों द्वारा माता-पिता से दुव्र्यवहार के ये तो चंद उदाहरण मात्र हैं और विभिन्न शहरों में 1 जून से 12 जून के बीच एक सर्वे में शामिल 71 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि लॉकडाऊन में संतानों द्वारा उनके साथ दुव्र्यवहार बढ़ गया है।
‘एज वैल फाऊंडेशन’ नामक एन.जी.ओ. के प्रधान हिमांशु रथ के अनुसार कोरोना ने बुजुर्गों के लिए एक नकारात्मक वातावरण पैदा कर दिया है और उन्हें सामाजिक ही नहीं बल्कि पारिवारिक बंदिशों का भी सामना करना पड़ रहा है।
56.1 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि वे अपने परिवार और समाज में दुव्र्यवहार का शिकार हो रहे हैं जिनमें संतानों द्वारा उनका अपमान, गाली-गलौच या उनके साथ बोलना बंद कर देना, उनकी दैनिक जरूरतों की उपेक्षा करना, उन्हें उचित भोजन, दवाओं और डाक्टरी परामर्श से वंचित रखना, उनके रुपए-पैसे छीन लेना, उनका शारीरिक और मानसिक शोषण करने के अलावा अधिक आयु होने के बावजूद काम करने के लिए विवश करना शामिल है।
सर्वे में शामिल 5000 बुजुर्गों से बातचीत के दौरान दुव्र्यवहार की शिकायत करने वाले 2804 बुजुर्गों में से 79 प्रतिशत ने कहा कि वे अपनी संतान के हाथों ज्यादातर आॢथक कारणों से दुव्र्यवहार झेल रहे हैं। सर्वे में शामिल 69 प्रतिशत बुजुर्गों ने कहा कि महामारी से पैदा हालात ने उनका जीवन दूभर कर दिया है। वे उपेक्षित जीवन बिताने को विवश हो गए हैं तथा लॉकडाऊन के कारण अधिकांश को जब्री एकांतवास में रहना पड़ रहा है। बुजुर्गों के प्रति संतानों के ऐसे व्यवहार को देखते हुए हम तो पहले ही लिखते आ रहे हैं कि माता-पिता अपनी सम्पत्ति की वसीयत तो अपने बच्चों के नाम अवश्य कर दें परंतु उनके नाम ट्रांसफर न करें। ऐसा करके वे अपने जीवन की संध्या में आने वाली अनेक परेशानियों से बच सकते हैं।—विजय कुमार