आम आदमी के लिए कहीं मुसीबत न बन जाए GST!

Thursday, Oct 20, 2016 - 11:39 AM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस और गैर कांग्रेसी विपक्ष के साथ सहमति बनने के बाद आखिकार जीएसटी बिल पास हो ही गया। जीएसटी की दर निर्धारित किए जाने की दृष्टि से लोगों की इस पर निगाह है, क्योंकि कर की दरें लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर सकती हैं। पिछले महीने जीएसटी परिषद की बैठक में क्षेत्र आधारित छूट को अंतिम रूप दिया गया था। केंद्र सरकार ने जीएसटी की चार दरों का प्रस्ताव किया है। यह दर 6 से 26 प्रतिशत तक हो सकती है। स्टैंर्डड टैक्स 18 प्रतिशत हो सकता है, लेकिन आम उपभोक्ता की वस्तुएं 22-25 प्रतिशत के अंतर्गत आ सकती हैं। राज्यों का घाटा पूरा करने के लिए जीएसटी पर उपकर लगाया जा सकता है, जो करीब 40 प्रतिशत तक होगा।


अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई बैठक
आगामी 15 नवम्बर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। इससे पहले सरकार जीएसटी बिल तैयार करना चाहती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की मंगलवार को नई दिल्ली में तीन दिन की महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें जीएसटी दर पर फैसला किया गया। अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में व्यापक बुनियादी सुधार के प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को एक अप्रैल 2017 से लागू करने का लक्ष्य है। जीएसटी परिषद इस बैठक में राज्यों को नई प्रणाली में राजस्व हानि पर क्षतिपूर्ति के फार्मूले जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान तय करेगी।

22 नवंबर तक जीएसटी पर बने आम सहमति
वित्त मंत्रालय ने परिषद में सभी मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए 22 नवंबर की समयसीमा निर्धारित की है। ऐसे में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है। यह निर्णय मुख्यत: पूर्वोत्तर क्षेत्र के और अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के कुल 11 राज्यों में जीएसटी के दायरे से बाहर रखे जाने वाली इकाइयों की कारोबार की सीमा से संबंधित था। जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले सप्ताह कहा था कि जीएसटी मसौदे में पर्यावरण के हिसाब से प्रतिकूल उत्पादों पर कर अन्य से 'अलग' होगा। राज्यों को राजस्व नुकसान के ऐवज में केंद्र की तरफ से दिए जाने वाले मुआवजे के फार्मूले के बारे में भी विचार किया जाएगा। पहली बैठक में 3-4 विकल्पों पर चर्चा की गई लेकिन आम सहमति नहीं बन सकी

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