पावर-प्रोजेक्ट को पुश देने का सरकारी फैसला
Monday, Mar 09, 2015 - 01:15 PM (IST)
नई दिल्ली: एक तरफ केंद्र सरकार जहां भूमि अधिग्रहन विधेयक में संशोधन करने को सोच रही है क्योंकि किसान आंदोलन को उतारू हैं तो दूसरी तरफ सरकार ने 90000 करोड़ लागत के 10 पावर प्रोजेक्ट को फास्ट-ट्रैक करने का फैसला कर लिया है। उल्लेखनीय है ये सभी राज्य सरकार के प्रोजेक्ट हैं और एनटीपीसी को इन प्रोजेक्टों पर अमल करना है। साथ ही यहां यह कहना भी जरूरी है कि ये सभी प्रोजेक्ट भूमि अभाव के कारण गति नहीं पकड़ रहे हैं।
आर्थिक समीक्षा में भी भूमि की समस्या का उल्लेख किया गया कि इसके चलते कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट रुके हुए हैं और इसके चलते इन प्रोजेक्टों पर निवेश भी संभव नहीं हो पा रहा है। आर्थिक गतिविधियों को निजी निवेश के साथ गति देने के लिए पिछले सप्ताह उर्जा मंत्रालय ने कैबिनेट सैक्रेटेरियट के प्रोजेक्ट मानिटरिंग ग्रूप से संपर्क साधकर 15600 मेगावाट के रुके हुए पावर प्रोजेक्टों को फास्ट-ट्रैक करने का आग्रह किया। ट्रांसमिशन लाइन की स्थिति के खराब होने से इन प्रोजेक्टों का बुरा हाल है और इसके तहत जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में उर्जा की दयनीय स्थिति का कायाकल्प हो पाएगा।
उक्त 10 प्रोजेक्टों के बाद भी 18.85 लाख करोड़ लागत के 305 प्रोजेक्ट को चालू करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की दरकार है। गौरतलब है कि प्रोजेक्टों की परेशानी को दूर करने के लिए बनाए गए इस कैबिनेट मानिटरिंग ग्रूप ने अभी तक 6.9 लाख करोड़ के 200 प्रोजेक्टों की समस्याओं को दूर कर लिया है। इनमें 3.53 लाख लागत के 100 ऐसे पावर प्रोजेक्ट भी शामिल हैं जो कमिश्निंग में आ रही रुकावट का सामना कर रहे हैं।
काबिलेजिक्र है कि भूमि अधिग्रहन कानून पर लोगों को विश्वास में लेने के लिए नरेंद्र मोदी ने कुछ लोगों से कहा था वे किसान विरोधी नहीं है, हालांकि विपक्ष इसी कानून की आड़ में सरकार को राज्यसभा में घेरता रहा है। खांडवा में थर्मम पावर प्लांट का उद्घाटन करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार ने भूमि अधिग्रहन कानून में किसान के लिए पानी व सिंचाई का प्रावधान नहीं किया था। उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों व चिकित्सा के लिए अस्पताल के लिए जमीन का प्रावधान भी पूर्व अधिग्रहन कानून में शामिल नहीं था। मोदी ने यह भी कहा था कि देश के 20 फीसदी लोग अभी पाषाण युग में जी रहे हैं उन्हें बिजली उपलब्ध नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में एनटीपीसी 10 पावर प्रोजेक्टों को गति देने का काम कर रही है और इन प्रोजेक्टों से 15000 मेगावाट की बिजली देश को मिल पाएगी। इनमें बिहार में स्थित नबीनगर में रेलवे व एनटीपीसी की 1000 मेगावाट की ज्वाइंट वेंचर की पावर प्लांट भी शामिल है जो भूमि अधिग्रहन मामले के कारण रूका हुआ है। इस प्लांट को 1521 एकड़ भूमि की आवश्यकता है जबकि अभी तक इसे 1121 एकड़ भूमि ही उपलब्ध हो पाया है।
आर्थिक समीक्षा में भी भूमि की समस्या का उल्लेख किया गया कि इसके चलते कई महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट रुके हुए हैं और इसके चलते इन प्रोजेक्टों पर निवेश भी संभव नहीं हो पा रहा है। आर्थिक गतिविधियों को निजी निवेश के साथ गति देने के लिए पिछले सप्ताह उर्जा मंत्रालय ने कैबिनेट सैक्रेटेरियट के प्रोजेक्ट मानिटरिंग ग्रूप से संपर्क साधकर 15600 मेगावाट के रुके हुए पावर प्रोजेक्टों को फास्ट-ट्रैक करने का आग्रह किया। ट्रांसमिशन लाइन की स्थिति के खराब होने से इन प्रोजेक्टों का बुरा हाल है और इसके तहत जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में उर्जा की दयनीय स्थिति का कायाकल्प हो पाएगा।
उक्त 10 प्रोजेक्टों के बाद भी 18.85 लाख करोड़ लागत के 305 प्रोजेक्ट को चालू करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की दरकार है। गौरतलब है कि प्रोजेक्टों की परेशानी को दूर करने के लिए बनाए गए इस कैबिनेट मानिटरिंग ग्रूप ने अभी तक 6.9 लाख करोड़ के 200 प्रोजेक्टों की समस्याओं को दूर कर लिया है। इनमें 3.53 लाख लागत के 100 ऐसे पावर प्रोजेक्ट भी शामिल हैं जो कमिश्निंग में आ रही रुकावट का सामना कर रहे हैं।
काबिलेजिक्र है कि भूमि अधिग्रहन कानून पर लोगों को विश्वास में लेने के लिए नरेंद्र मोदी ने कुछ लोगों से कहा था वे किसान विरोधी नहीं है, हालांकि विपक्ष इसी कानून की आड़ में सरकार को राज्यसभा में घेरता रहा है। खांडवा में थर्मम पावर प्लांट का उद्घाटन करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पूर्ववर्ती सरकार ने भूमि अधिग्रहन कानून में किसान के लिए पानी व सिंचाई का प्रावधान नहीं किया था। उनके बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूलों व चिकित्सा के लिए अस्पताल के लिए जमीन का प्रावधान भी पूर्व अधिग्रहन कानून में शामिल नहीं था। मोदी ने यह भी कहा था कि देश के 20 फीसदी लोग अभी पाषाण युग में जी रहे हैं उन्हें बिजली उपलब्ध नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में एनटीपीसी 10 पावर प्रोजेक्टों को गति देने का काम कर रही है और इन प्रोजेक्टों से 15000 मेगावाट की बिजली देश को मिल पाएगी। इनमें बिहार में स्थित नबीनगर में रेलवे व एनटीपीसी की 1000 मेगावाट की ज्वाइंट वेंचर की पावर प्लांट भी शामिल है जो भूमि अधिग्रहन मामले के कारण रूका हुआ है। इस प्लांट को 1521 एकड़ भूमि की आवश्यकता है जबकि अभी तक इसे 1121 एकड़ भूमि ही उपलब्ध हो पाया है।