अबूझ पहेली है ये मंदिर, आज तक इसमें छिपे रहस्य कोई नहीं जाना पाया

Friday, Dec 04, 2015 - 11:53 AM (IST)

उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद के भीतरगांव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गांव में स्थित है भगवान जगन्नाथ का ऐसा मंदिर। जो आज तक अबूझ पहेली बना हुआ है। इस स्थान पर मानसून आने के एक सप्ताह पूर्व ही मंदिर के गर्भ ग्रह के छत में लगे मानसूनी पत्थर से पानी की बूंदे टपकने लगती हैं। हैरानी की बात यह है की टपकी बूंदें भी उसी आकार की होती हैं, जैसी बारिश होनी होती है। बारिश की पूर्व सूचना मिलने से किसानों को अपने काम समय पर निपटाने में अवश्य सहायता प्राप्त होती है।

कुदरत के इस करिश्मे पर बहुत सारे सर्वेक्षण हुए हैं लेकिन इसके निर्माण का सही समय पुरातत्व वैज्ञानिक आज तक नहीं जान पाए हैं। माना जाता है की अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। इससे पूर्व की कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
 
मंदिर की आकृति बौद्ध मठ जैसी है, जिससे यह माना जाता है की इसे बौद्ध धर्म के अनुयायी सम्राट अशोक ने बनवाया था। मंदिर के बाहर मोर के निशान और चक्र बना होने से चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में बने होने का अंदेशा भी लगाया जाता है।
 
14 फुट मोटी मंदिर की दीवारों में बने भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर में स्वयं भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ जी और बहन सुभद्रा जी की काले चिकने पत्थर की सुंदर स्वरूप स्थापित हैं। उनके अतिरिक्त सूर्य और भगवान पद्‍मनाभम की भी प्रतिमाएं हैं। आजकल यह मंदिर पुरातत्व के अधीन है। जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथ यात्रा यहां से भी निकाली जाती है।

 

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