इस मंदिर में रात को रूकने वाले की हो जाती है मौत, हर रोज दो चिरंजीवी करते हैं दर्शन

Thursday, Apr 28, 2016 - 11:24 AM (IST)

जिला सतना की मैहर तहसील के समीप त्रिकूट पर्वत पर मैहर देवी का मंदिर है। मैहर नगरी से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर शारदा माता का मंदिर है। इस मंदिर से संबंधित बहुत सारी विख्यात कथाएं हैं। हर रोज रात को मंदिर बंद कर दिया जाता है, माना जाता है कि प्रतिदिन रात्रि के समय आल्हा और उदल नाम के दो चिरंजीवी मां के दर्शनों के लिए आते हैं। यदि कोई व्यक्ति रात के समय यहां रूकने की चेष्टा करता है तो वह अगली सुबह नहीं देख पाता। मौत के आगोश को प्राप्त हो जाता है।
 
 
स्थानीय लोगों के अनुसार शारदा माता के बहुत बड़े भक्त आल्हा और उदल वो शख्स हैं जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था। उन दोनों ने इस मंदिर की खोज की थी। आल्हा ने इसी मंदिर में 12 सालों तक तप कर देवी से अमरत का वर प्राप्त किया था। आल्हा मां को शारदा माई नाम से पुकारता था इसलिए मंदिर का नाम भी शारदा माई के नाम से विख्यात हो गया। माना जाता है की आज भी माता शारदा के दर्शन प्रतिदिन सर्वप्रथम आल्हा और उदल करने आते हैं। मंदिर की पीठ पर पहाड़ों के तले एक तालाब है, जिसे आल्हा तालाब के नाम से जाना जाता है। तालाब से 2 किलोमीटर की दूरी पर एक अखाड़ा है कहा जाता है कि इस स्थान पर आल्हा और उदल कुश्ती लड़ा करते थे। 
 

रात को कोई भी व्यक्ति मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता क्योंकि वहां के लोगों का मानना है कि रात को दोनों भाई मंदिर में आकर मां का श्रृंगार करते हैं अौर पूजा अर्चना करते हैं। इसी दौरान यदि कोई व्यक्ति मंदिर में रुकने की कोशिश करता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है। त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा देवी के मंदिर के साथ ही काल भैरवी, भगवान हनुमान, देवी काली, देवी दुर्गा, गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमती माता, ब्रह्म देव अौर जालपा देवी के मंदिर भी हैं।  

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