मां काली के मंदिर में भक्त चढ़ाते हैं सोने-चांदी के ताले, पूर्ण होती है मनोकामना

Saturday, Sep 03, 2016 - 10:43 AM (IST)

मंदिर में देवी-देवताअों को फूल, माला, फल, अगरबत्ती चढ़ाए जाते हैं परंतु कानपुर में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जहां भक्त सोने, चांदी अौर अन्य धातुअों के बने ताले चढ़ाते हैं। लखनऊ से 80 कि.मी. दूर कानपुर के बंगाली मोहाल मोहल्ले में मां काली का प्राचीन मंदिर है। जहां भक्त अपनी इच्छा पूर्ति के लिए मां के दरबार में ताला अर्पित करते हैं। जब इच्छा पूर्ण हो जाती है तो भक्त ताला खोलकर ले जाते हैं।

 

300 वर्ष पुराने इस मां काली के मंदिर में प्रतिदिन बहुत सारे भक्त मां के दर्शनों हेतु आते हैं। नवरात्रों में मां के भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। कहा जाता है कि जो भक्त सच्ची श्रद्धा से मां के मंदिर में ताला बांध कर मनोकामना मांगता है वह अवश्य पूर्ण होती है। कहा जाता है कि आमतौर पर यहां लोहे के ताले लगाए जाते हैं परंतु नवरात्रों में भक्त यहां सोने, चांदी अौर अन्य धातुअों से निर्मित ताले लगाते हैं।

 

कहा जाता है कि मंदिर में ताला लगाने से पूर्व ताले का पूर्ण विधि विधान से पूजन करना पड़ता है। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वे ताला खोलकर ले जाते हैं। मंदिर में अधिक ताले होने पर जिन भक्तों को अपना लगाया ताला नहीं मिलता वे ताले की चाबी मां काली के चरणों में अर्पित करके चले जाते हैं।

 

मां काली यहां कैसे विराजमान हुई, ये मंदिर कब अौर किसने बनवाया इसके बारे में कोई नहीं जानता। कहा जाता है कि बहुत समय पूर्व एक महिला बहुत दुखी रहती थी। वह प्रतिदिन सुबह मां के मंदिर में पूजा हेतु आती थी। एक दिन वह मंदिर के प्रांगण में ताला लगाने लगी तो पंड़ित ने इसका कारण पूछा। महिला ने कहा कि मां काली ने उसके स्वप्न में आकर उससे कहा कि वह उनके नाम का ताला मंदिर के प्रांगण में लगा दे तो उसकी प्रत्येक मन्नत पूर्ण हो जाएगी। कहा जाता है कि ताला लगाने के बाद वह महिला वहां कभी दिखाई नहीं दी। कुछ वर्षों के पश्चात वह ताला खुला हुआ था अौर दीवार पर लिखा था कि उसकी मन्नत पूर्ण हो गई है इसलिए वह ये ताला खोल रही है। उस महिला को किसी ने भी वह ताला खोलते हुए नहीं देखा अौर तब से मां काली का नाम ताला वाली देवी पड़ गया।

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