पांडवों के शस्त्र गले थे यहां, पापों से मुक्ति के लिए रविवार को करें इस कुण्ड में स्नान

Saturday, Jul 23, 2016 - 10:36 AM (IST)

रविवार के दिन सूर्य पूजा का विधान है।  इनके पूजन से सुख, ज्ञान, स्वास्थ्य और उन्नति की प्राप्ति होती है। राजस्थान के शेखावटी क्षेत्र के झुंझुनूं जिले से 70 कि. मी. की दूरी पर अरावली पर्वत की घाटी के उदयपुरवाटी कस्बे से लगभग 10 कि.मी. दूर लोहागर्ल जगह स्थित है। यहां सूर्यदेव का मंदिर स्थित है। यह स्थान राजस्थान के पुष्कर के बाद सबसे बड़ा दूसरा तीर्थ है।  

 

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस स्थान पर आने वाले श्रद्धालुअों की इच्छाएं पूर्ण होती हैं अौर पापों से मुक्ति मिलती है। माना जाता है कि सूर्यदेव ने भगवान विष्णु की तपस्या करके इस स्थान की प्राप्ति की थी। इस स्थान पर वे अपनी पत्नी संग विराजते हैं। यहां चारों अोर पहाड़ों से घिरा सूर्य कुंड है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से सारे पापों से छुटकारा मिलता है। 

 

एक अन्य मान्यता के अनुसार पापों से मुक्ति पाने के लिए पांडव महाभारत के युद्ध के बाद इस कुंड में आए थे। कहा जाता है कि युद्ध के बाद पांडव अपने परिजनों की मृत्यु से दुखी थे। तब श्री कृष्ण ने लाखों लोगों के पाप का दर्द देख पांडवों से कहा था कि जिस तीर्थ स्थल के तालाब में उनके शस्त्र पानी में गल जाएंगे, वहीं उनका मनोरथ पूरा होगा। जब पांडवों ने यहां के सूर्यकुंड में स्नान किया तो उनके सभी शस्त्र गल गए थे। उन्होंने भोलेनाथ की उपासना करके मोक्ष की प्राप्ति की थी। पांडवों ने ही इस जगह के प्रताप को देख तीर्थ राज की उपाधि दी थी।

 

इस स्थान पर सूर्यदेव के पूजन अौर कुंड में स्नान हेतु बहुत से श्रद्धालु आते हैं। यहां स्नान करने से चर्म रोग अौर पापों से छुटकारा मिलता है।

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