श्रीराधाष्टमी पर करें इस स्थान के दर्शन, होती है अलौकिक अनुभूति

Friday, Sep 09, 2016 - 10:48 AM (IST)

आज श्रीराधाष्टमी है, इस दिन श्री कृष्ण की प्राण प्यारी राधारानी का प्राकट्य हुआ था। राधाष्मी का पर्व संसांर में हर स्थान पर बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन बरसाने में भक्त जिस आनंद का अनुभव करते हैं, उसे किसी भी लेखनी में बांधना कठिन है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन पश्चात भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधा रानी का प्राकट्य हुआ था।

 

बरसाना में इस पर्व पर राधा जी को लड्डूअों अौर छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है अौर उसके पश्चात इसे मोर को खिलाया जाता है क्योंकि मोर को श्रीराधा-कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। प्रसाद का बचा हिस्सा भक्तों में बांट दिया जाता है। बरसाना में चारों तरफ भक्त बधाई गान गाकर और नाचकर राधाष्टमी का त्यौहार मनाते हैं। आईए जानें बरसाना के बारे में... 

 

मथुरा से 26 कि.मी. दूर बरसाना गांव स्थित है। इस गांव से श्रीकृष्ण का बेहद लगाव  है। बरसाना गांव का पुराना नाम बृहत्सानु, ब्रहसानु या वृषभानुपुर था। यह गांव एक पहाड़ी पर स्थित है। इस स्थान को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। इसके शिखरों को ब्रह्मा के चार मुख माना जाता है। 

 

बरसाना दो पहाड़ियों के मध्य स्थित है। यहां श्रीकृष्ण ने गोपियों को घेरा था। यहीं एक सुंदर तालाब भी है। इस तालाब को वृषभानु जी ने बनवाया था। इस स्थान पर पीरी पोखर नामक तालाब बहुत प्रसिद्ध है। इसके विषय में कहा जाता है कि यहां राधा जी स्नान किया करती थी। विवाह पश्चात उन्होंने अपने पीले हाथ यहीं धोए थे इसलिए इस सरोवर का नाम पीरी पोखर पड़ गया। 

 

बरसाना के बीचों-बीच एक पहाड़ी है। उसके ऊपर राधारानी का मंदिर बना है। यहां तक जाने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इसे बरसाने की लाडली जी का मंदिर भी कहा जाता है। राधा जी का पुराना मंदिर मध्यकालीन है जिसे लाल और पीले पत्थरों से निर्मित किया गया है। राजा वीर सिंह ने इस मंदिर का निर्माण 1675 में करवाया था। स्थानीय लोगों ने बाद में मंदिर में पत्थर लगवाया था। बरसाना के लोग राधा जी को  ललि जी और वृषभानु दुलारी भी कहते हैं। 

 

बरसाना गांव में राधाष्टमी पर भक्तों की बहुत भीड़ होती है। यहां अष्टमी से चतुर्दशी तक भारी मेला लगता है। यहां बहुत सारे मंदिर बने हैं लेकिन सबसे आकर्षक मंदिर राधा मंदिर है। मंदिर में राधा की सुंदर प्रतिमा है। यहीं वृषभानुजी की प्रतिमा भी है उनके एक अोर किशोरी तो दूसरी तरफ श्रीदामा खड़े हैं।

 

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