ऐसा मठ जहां पितरों की शांति के लिए दान किए जाते हैं, शिवलिंग (Watch Pics)

Saturday, Jul 30, 2016 - 10:30 AM (IST)

जंगमवाड़ी मठ वाराणसी के सभी मठों से पुराना है। इसे Jnana Simhasana और Jnana Peetha के नाम से भी जाना जाता है। जंगम का अर्थ है शिव को जानने वाला एवं और वादी का मतलब है रहने का स्थान है। यहां सदियों से पितरों की शांति के लिए शिवलिंग दान करने की परंपरा चली आ रही है। यह मठ 50000 फीट में फैला हुआ है प्रत्येक जगह शिवलिंग के ही दर्शन होते हैं।।

 

यहां पर लाखों शिवलिंग एक साथ विराजित हैं। इस स्थान पर मरे हुए लोगों अौर अकाल मृत्यु हो उनकी आत्मिक शांति के लिए शिवलिंग स्थापित करने की परंपरा है। यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है यहां पर एक ही छत के नीचे दस लाख  शिवलिंगों की स्थापना हो चुकी है। 

 

हिंदू धर्म में पिंडदान विशेष विधि-विधान से किया जाता है। यहां पर उसी प्रकार मंत्रों के उच्चारण के साथ शिवलिंग की स्थापना होती है। यहां पर जो शिवलिंग खराब हो जाते हैं उन्हें मठ में ही सुरक्षित जगह पर रख दिया जाता है।

 

हिंदू धर्म में मृत लोगों की मुक्ति के लिए पिंडदान किए जाते हैं। उसी प्रकार वीरशैव संप्रदाय के लोग द्वारा अपने पूर्वजों के मुक्ति हेतु शिवलिंग का दान किया जाता है। यहां पर सावन मास में सबसे अधिक शिवलिंगों की स्थापना की जाती है। ये परंपरा पिछले 250 वर्षों से लगातार चल रही है।

 

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