माहेश्वर में 900 वर्षों से विराजित हैं बप्पा, दीपावली पर उमड़ती है भक्तों की भीड़

Tuesday, Oct 25, 2016 - 09:19 AM (IST)

मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे माहेश्वर कस्बे के महावीर मार्ग पर अति प्राचीन गोबर गणेश नामक मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि मंदिर में विराजित भगवान गणेश जी की दक्षिण मुखी प्रतिमा करीब 900 वर्ष पुरानी है। बप्पा की यह प्रतिमा गोबर अौर मिट्टी से बनी हुई है, जिसमें एक बड़ा हिस्सा गोबर का है। कहा जाता है कि यहां नारियल अर्पित करके बप्पा से इच्छित वरदान प्राप्त कर सकते हैं। 

 

आमतौर पर पूजा-पाठ के समय गोबर के गणपति बनाकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। गोबर अौर मिट्टी में पंचतत्वों का वास माना जाता है। कहा जाता है कि गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है। माना जाता है कि यहां दर्शन करने से गणपति के साथ देवी लक्ष्मी की भी आशीर्वाद मिलता है।  

 

यहां बप्पा की प्रतिमा के साथ मंदिर का आकार भी भक्तों को हैरान करता है। मंदिर का बाहरी आकार मस्जिद के गुबंद की भांति लगता है। मंदिर के अंदर की बनावट लक्ष्मी यंत्र की तरह लगती है। कहा जाता है कि अौरंगजेब के शासन काल में इस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने का प्रयास किया गया था। जिसके कारण मंदिर के गुबंद का आकार मस्जिद की भांति लगता है। 

 

मंदिर में गणपति बप्पा अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं। माना जाता है कि यहां आने से भक्तों की हर इच्छा पूर्ण हो जाती है। इसी कारण भक्त यहां उल्टा स्वस्तिक बनाकर बप्पा तक पहुचांते हैं। जब भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो यहां आकर सीधा स्वस्तिक का चिंह बनाया जाता है। मंदिर में गणपति बप्पा के दर्शनों के लिए वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है। विशेषकर गणेश उत्सव अौर दीपावली के अवसर पर मंदिर में बप्पा के दर्शनों के लिए भक्तों की बहुत भीड़ उमड़ती है।

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