अन्न, जन व धन की चर्चा वर्जित है रामनाम की तीर्थ स्थली परमधाम डल्हौजी में

Thursday, Jul 30, 2015 - 12:29 PM (IST)

31 जुलाई साक्षात्कार दिवस पर विशेष
 
देव भूमि हिमाचल प्रदेश में अनेक ऋषियों, मुनियों और संतों ने तपस्या करके दिव्य ज्योति के दर्शन किए इन्हीं में से एक स्थान हिमालय की सुरम्य एवं शांत पहाडिय़ों के बीच डल्हौजी नामक शहर से लगभग 5 किलोमीटर ऊपर नारवुड में स्थित परम धाम नाम से प्रसिद्ध है। यहां चारों ओर राम नाम की गूंज सुनाई देती है। राम नाम की तीर्थ स्थली बन चुके इस स्थान की महिमा अपार है।
 
श्री रामशरणम संस्था के संस्थापक परम पूज्यनीय श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज ने परमेश्वर से प्रसाद प्राप्त करने की इच्छा से जीवन भर विभिन्न धर्मों में रह कर संतों के संग अध्ययन करते हुए घोर तप किया और इसी स्थान पर आकर निश्चय किया कि जब तक परमेश्वर से कुछ प्राप्त नहीं हो जाता यहीं रहूंगा। सत्यानंद जी कठिन व घोर तप करते हुए एकांत साधना से निमग्न हो गए।
 
सन् 1925 व्यास पूर्णिमा के दिन महाराज के कथन अनुसार जब मैं प्रार्थना में निमग्न  था, तब मुझे ‘राम’ शब्द बहुत ही सुंदर और आकर्षक स्वर में सुनाई दिया। साथ ही आदेशात्मक शब्द आया ‘राम भज राम भज’ फिर दर्शन की मांग करने पर ‘राम’ रूप तेजोमयी दर्शन हुआ। महाराज के रोम-रोम में राम-राम की ध्वनि गूंज उठी।
 
भक्त हंसराज जी महाराज (पिता जी) के प्रयासों से यहां श्री रामशरणम का निर्माण किया गया। अब यह स्थान राम नाम की तीर्थ स्थली के नाम से जाना जाता है। यहां वर्ष में दो बार विभिन्न ग्रुपों में 3 दिवसीय साधना सत्संग लगाए जाते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों से लगभग 175 भाग्यशाली साधक यहां आकर इस तपोभूमि पर राम नाम का सिमरन करके सच्चे सुख का अनुभव प्राप्त करते हैं। इसमें शामिल होने वाले साधकों के लिए अन्न, जन व धन चर्चा वर्जित है। पिता जी द्वारा लगाई इस फुलवाड़ी को अब श्री कृष्ण जी महाराज एवं रेखा जी सींच रहे हैं। 
 

प्रस्तुति : राम शाम शोरी, लुधियाना 

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