करोड़ों काम-देवों को मोहित करने वाले श्रीगोविन्द देव जी गुप्त रूप से रहते थे यहां

Thursday, Aug 27, 2015 - 02:03 PM (IST)

जयपुर के प्रसिद्ध मंदिर श्रीराधा गोविन्द देव जी में अवस्थित भगवान गोविन्द देव जी की स्थापना के पीछे है भगवान के एक महान भक्त श्रील रूप गोस्वामी जी। बात उन दिनों की है जब आप श्रीधाम वृन्दावन में रहते थे। उस समय आप भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु के आदेशों का पालन करते हुए रह रहे थे। किन्तु एक चिन्ता आपको सताती रहती थी। वो यह कि श्रीव्रजेन्द्र नन्दन श्रीगोविन्द जी के श्रीविग्रह (श्रीमूर्ति) को कैसे प्रकाशित किया जाए कहां खोजा जाए? इसी चिन्ता में आप श्रीवृज मण्डल में गांव-गांव, वन-वन में फिरते हुए श्रीगोविन्द देव जी को ढूंढते रहते थे।
 
योग पीठ में भगवान की मौजूदगी शास्त्रों में लिखी है। आप ने जब वृज वासियों के घर-घर में खोजने पर भी कहीं श्रीगोविन्द देव जी के दर्शन न किए तो धैर्य खोकर एक दिन आप यमुना के किनारे श्रीकृष्ण-विरह से व्याकुल होकर जा बैठे। उसी समय एक वृजवासी आपके पास आया। उस वृजवासी ने बहुत ही मीठी वाणी में आपके दुःख का कारण पूछा।
 
श्रील रूप गोस्वामी जी ने उस वृजवासी के रूप और शब्दों से मोहित होकर उन्हें सारी बात बता दी। वृजवासी ने आपको आश्वासन देते हुए कहा, "चिन्ता का तो कोई कारण ही नहीं है। वृन्दावन में गोमाटीला नामक योग-पीठ है। वहां श्रीगोविन्द देव जी गुप्त रूप से रहते हैं। एक सुलक्षणा गाय रोजाना वहां आकर दूध देती है।" इतना कहकर वो वृजवासी अन्तर्धान हो गया।
 
श्रीकृष्ण आए थे, मैं पहचान नहीं पाया यह सोच कर आप बेहोश हो गए। आपने कुछ देर में अपने को संभाला और वृजवासियों को श्रीगोविन्द देव के प्रकट होने का स्थान बताया। वृजवासियों में बड़ी खुशी से गोमा टीले कि खुदाई की, और वहां से करोड़ों काम-देवों को मोहित करने वाले व्रजेन्द्र-नन्दन श्रीगोविन्द देव जी का प्राकट्य हुआ। इस समय ये विग्रह श्रीगोविन्द देव मन्दिर, जयपुर में हैंं।
 
श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज

bhakti.vichar.vishnu@gmail.com  

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