सावधान! आपका बच्चा आपको देख रहा है

Tuesday, Jan 14, 2020 - 09:10 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

यह वास्तव मेें सच है कि बच्चा जैसे माहौल में पैदा होता है उसी के अनुरूप ढल जाता है। वह अपने माता-पिता को देखते हुए अपनी आदतें, प्रकृति तथा घर पर व बाहर संस्कृति बनाता है। इसलिए अभिभावकों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे खुद एक उदाहरण बनते हुए बच्चों में सकारात्मकता पैदा करें। 

सकारात्मक बनें
जिस तरह का बदलाव आप अपने बच्चे में चाहते हैं, खुद भी वैसे ही बनें। आपने गौर किया होगा कि आमतौर पर बच्चा वैसे ही बोलता या बात करता है जैसे आप करते हैं। यदि आप ‘ओए’ जैसे शब्द निरंतर बोलते हैं तो आप पाएंगे कि बच्चा भी उन्हें अपना लेता है और अपनी बातचीत में उनका इस्तेमाल करता है। 

यही बात आदतों के बारे में भी लागू होती है। जब बच्चा अपने माता-पिता को किसी खास तरीके से चीजों को करते देखता है तो वह भी वैसा ही करता है। यह एक ऐसा पैटर्न है जो समय के साथ बनता है। 

इसके साथ ही यदि ग्रैंड पेरैंट्स (दादा-दादी) भी उसी घर में रहते हों तो बच्चा इस बात पर ध्यान देता है कि उसके अपने माता-पिता उसके दादा-दादी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। अत: अनुकरणीय बनें तथा अपनी बातचीत में अच्छे विचारों और विनम्रता का इस्तेमाल करें। तर्क-वितर्क नहीं बल्कि स्वास्थ्यपूर्ण बातचीत करें। सुनिश्चित करें कि दिन के दौरान कम से कम एक बार खाने पर सब इकट्ठे हों। इससे पारिवारिक बंधन मजबूत होता है। याद रखें, आपका बच्चा आपको देख रहा है।

मिलनसार बनें
मेलजोल अथवा संचार आपके बच्चे के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाहे घर हो या स्कूल, बच्चे को अपने प्रारंभिक वर्षों में अपनी ओर ध्यान की जरूरत होती है। तो संचार क्या है? इसका अर्थ यह है कि आप अपने बच्चे की जरूरतों को समझने के लिए उस तक कैसे पहुंच बनाते हैं। यह उसके साथ बात करने का तरीका है। यह इस बारे में है कि आप उन्हें कैसा महसूस करवाते हैं।

अपने बच्चे के साथ खुले मन से विभिन्न विषयों पर बात करें और यहां तक कि उन्हें महसूस करवाएं कि आप वहां उसके साथ मौजूद हैं। अपने बच्चे तक पहुंच बनाने के बहुत से फायदे हैं। यह उनमें आत्मविश्वास पैदा करता है और उसे आप तक पहुंचने के लिए पहल करने में कोई शर्म या हिचकिचाहट महसूस नहीं होगी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इससे बच्चे को अपने खोल से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।

इसके साथ ही प्रतिदिन उसकी रुचि के और यहां तक कि विज्ञान और सांस्कृतिक विषयों पर बात करने से आपका बच्चा अपने आसपास के माहौल तथा चीजों के प्रति जागरूक होगा। इससे उसे अपने स्कूल में विभिन्न विषयों के प्रति सचेत रहने में भी मदद मिलेगी। 

अपने बच्चे को व्यस्त रखने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं। उसे हर रोज किसी विषय पर सोचकर 10 मिनट के लिए बोलने को कहें। इससे उसमें पढऩे, लिखने की आदत तो बनेगी ही और बोलने के लिए आत्मविश्वास पैदा होगा।

अपनी उपस्थिति दर्शाएं
अपने बच्चे के लिए आप बेहतरीन कार्य यह कर सकते हैं कि उनके लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं। आमतौर पर यह देखा गया है कि अभिभावक अपने बच्चों को घर पर अकेले या किसी अन्य की जिम्मेदारी पर छोड़ देते हैं और खुद अपने जीवन की व्यस्तताओं में मशगूल रहते हैं। हालांकि काम करने वाले अभिभावक अपने घरों तथा करियर्स का प्रबंधन बहुत अच्छा करते हैं मगर इस सब के बीच बच्चे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

इसका अर्थ यह होगा कि वे अकेलेपन का शिकार हो जाएंगे इसलिए काम के बाद बच्चे का ध्यान आपका प्रमुख कार्य होना चाहिए। साथ ही महज फोन कॉल से दिन भर उसका हाल-चाल पूछते रहना भी उनके आत्मविश्वास के लिए चमत्कार कर सकता है। उन्हें महसूस होगा कि उनकी परवाह है। कुल मिलाकर जब आदतों तथा प्रकृति की बात आती है तो आपका बच्चा आपका दर्पण होता है इसलिए सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चे के रोल मॉडल बनें तथा उसकी जरूरतों पर ध्यान दें। अभिभावक के रूप में खुद को बढ़ते देखते हुए अपने बच्चे को भी बढ़ते देखें। 


 

Niyati Bhandari

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